बुंदेली भासा की बकालत करत हैगी 'अथाई की बातें' पत्तिका - किसान गिरजासंकर कुसबाहा 'सतेंद सिंघ किसान'
*** बुंदेली भासा की बकालत करत हैगी 'अथाई की बातें' पत्तिका ***
बुंदेली भासा की एकमात्त तिमाई पत्तिका 'अथाई की बातें' कौ ताजौ अंक (साल - १५ , अंक - १ , कुँआर-कातिक-अगन) पढ़कैं भौत खुसी भई। कायकी अथाई की बातें पत्तिका बुंदेली भासा की बकालत कर रई हैगी उर बुंदेली भासा खों देस - दुनिया के कोने-कोने में पौंचाबो चा रई।
बुंदेली भासा बोलबे बारों की जनसंख्या दस - बारा करोड़ हैगी। हम बुंदेली भासी यानी बुंदेलखंडी उत्तर परदेस के बुंदेलखंड (जिला झाँसी, ललितपुर, जालौन, महोबा, हमीरपुर, बाँदा, चित्तकूट, फतेहपुर) उर मध्य पिरदेस के बुंदेलखंड (जिला जबलपुर, सागर, टीकमगढ़, निवाड़ी, दतिया, ग्वालियर, शिवपुरी, भिंड, मुरैना, सियोपुर, पन्ना, छ्तरपुर, दमोह, असोकनगर, रायसेन, विदिसा, नरसिंघपुर, भोपाल) में यानी 'अखंड बुंदेलखंड' में रेऊत हैगें। हम बुंदेलखंडी अपनी बुंदेली भासा में बोलत, लिखत और पढ़त हैगें। हमाई बुंदेली भासा मेंईं जगनिक नें आला-चरित लिक्खो और तुलसीदास नें रामचरितमानस में भी बुंदेली कौ पिरयोग करौ। बुंदेली भासा कीं केऊ बोलीं हैंगीं जैसें - कछियाई, ढिमरयाई, अहिरयाई, लुधियाई, डंगाई बमनऊ, बनियाऊ उर चमरयाऊ।
छतरपुर सें पिरकासित 'अथाई की बातें' पत्तिका के यी अंक के पिरधान संपादक डॉ० राघबेंद उदैनियाँ 'सनेही' (छतरपुर) हैंगे। संपादक मंडल में डॉ० बहादुर सिंघ परमार (छतरपुर) उर डॉ० सुधाकर उपाध्याय (ललितपुर) हैं। सुरेंद अग्निहोतरी (ललितपुर) सलाहकार संपादक उर गुप्तेसुर द्वारका गुप्त (जबलपुर) अतिथि संपादक हैगें। जौ अंक जबलपुर की बुंदेली पे केंद्रित हैगो।
यीमें लेख, किसा, हलकी किसा, कबीता, बियंग, विमर्स, किसान बिमर्स, इस्तरी बिमर्स की रचनाएँ उर पोथी समिक्छाएं छपी हैंगीं। यीमें " झाँसी की बुंदेली किसायें - सतेंद सिंघ किसान " सीर्सक सें हमाईं कछियाई बोली में लिखीं दो किसायें - 'पिरकिती' उर 'रीना' भी छपी हैगी। 'पिरकिती' पर्याबरन बिमर्स की किसा हैगी, जीमें पर्याबरन की रक्छा उर पिरदूसन खों दूर भगाबे कौ संदेस हैगो उर 'रीना' किसान बिमर्स की किसा हैगी। जीमें बुंदेलखंड के किसान की दसा उर दिसा के संगे सिरकार की ताएँ सें बुंदेलखंड की अनदेखी उर रुजगार उर सिक्छा की समस्या खों उजागर करौ गओ हैगो।
यी अंक में सुरेंद अग्निहोतरी कौ लेख 'त्योहारन कौ मेला' , डॉ० सुमनलता श्रीबास्तओ की किसा 'स्वयंसिद्धा' , डॉ० सुधाकर उपाध्याय की कबिताएं 'प्यारौ गॉंव' उर 'मोबाईल' , जयपिरकास श्रीबास्तओ की किसा 'झिर फूटी' , द्वारका गुप्त गुप्तेसुर कौ लेख 'जबलपुर छेत्त की बुंदेली कौ सरूप' , संतोस कुमार पटैरेया की कबीता 'सूखौ' , साधना उपाध्याय की किसा 'काकी नें देखो ब्याह' , अभिमन्यु जैन को बियंग 'मामा के आँगें' , बिजयलच्छमी बिभा की कबीता 'जा बुंदेलखंड की धरती' , प्रो० बहादुर सिंघ परमार कौ लेख 'निहारौ नोंनों बुन्देलखण्ड' , नीतेंद सिंघ परमार कीं बुंदेली चौकड़ियां , नंदकिसोर पटैल की पोथी समीक्छा 'रैन की पुतरिया' , आमिल हबीबी की कबीता 'हमाए सबरे रुपइया डकार कें' , मनोरमा तिबारी की किसा 'बसोरी कक्का' , ममता तिबारी की किसा 'दायजौ के सहेजौ' , अरुन कुमार मिस्र की हलकी किसा 'तिनका-तिनका घौंसला' , सुरेन्द सिंघ पबार कौ लेख 'सरग नसैनी पाट की, जा पै चढ़ न्यौते देंय' , डॉ० राघबेंद उदैनियाँ सनेही की गजल उर आचार्य भगबत दुबे की कबीता 'हँसी उड़ाई बेचारी की' भौतई नौंनीं लगीं। सबई रचनाएँ एक सें बढकें एक हैंगीं। सबमें बुंदेली समाज उर संसकिरती की अनोखी झलक दिखाई गई है।
आप सबई जनन सें हांत जोरकें हमाई जा बिनती हैगी के आप 'अथाई की बातें' पत्तिका के सदस्य बनों उर अपने संगी-साथियन खों भी सदस्य बनाओ। बुंदेली भासा के पिरचार - पिरसार के यी जग्ग में सब जनन की आहुति जरूरी हैगी, ऐईसें बुंदेली के लानें हम सब बुन्देलखण्डीयन खों तन, मन उर धन सें सैयोग कन्नैं है। जब हम बुन्देलखंडी बुंदेली भासा के लानें आंदोलन में सैयोग करहैं, तबईं बुंदेली भासा खों सिरकारी मान्यता मिलहै। हम सिरकार सें माँग करतई के बुंदेली भासा खों संबिधान की आठमीं अनुसूची में सामिल करौ उर बुंदेली खों सिक्छा कौ माध्यम बनाओ।
।। जै जै बुंदेली - जै जै बुंदेलखंड ।।
'अथाई की बातें' पत्तिका की सदस्यता के लानें हमसें संपर्क करें -
हर अंक - 75 रूपज्जा
सालाना - 300 रूपज्जा
दुसाली - 550 रूपज्जा
पंचसाली - 1250 रूपज्जा
आजीबन - 5000 रूपज्जा
संरक्छक - 10000 रूपज्जा
©️ किसान गिरजासंकर कुसबाहा 'कुसराज झाँसी'
(( सतेंद सिंघ किसान ))
(अगुआईकारी - बदलाओकारी बिचारधारा, बुंदेली भासा पिरचारक, लिखनारो)
फोन - 9596911051, 8800171019
ईमेल - kushraazjhansi@gmail.com
पतौ - २१२, नन्नाघर, जरबो गॉंओं, बरूआसागर, झाँसी, अखंड बुंदेलखंड (१२८४२०१)
३०/१२/२०२३, झाँसी
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