Sunday 14 January 2024

राष्ट्रीय युवा दिवस - २०२४ पर कहानी-संग्रह 'घर से फरार जिंदगियाँ' का बीकेडी कॉलेज झाँसी में हुआ लोकार्पण (Story Collection 'Ghar Se Farar Zindagiyan' launched at BKD College Jhansi on National Youth Day - 2024)

 *** राष्ट्रीय युवा दिवस - २०२४ पर कहानी-संग्रह 'घर से फरार जिंदगियाँ' का बीकेडी कॉलेज झाँसी में हुआ लोकार्पण (Story Collection 'Ghar Se Farar Zindagiyan' launched at BKD College Jhansi on National Youth Day - 2024) ***





१२ जनवरी २०२४ को राष्ट्रीय युवा दिवस, विवेकानंद जयंती एवं बुन्देलखण्ड महाविद्यालय, झाँसी की स्थापना के अमृत महोत्सव वर्ष में आयोजित युवा महोत्सव - २०२४ में हिन्दी विभाग, बुन्देलखण्ड महाविद्यालय, झाँसी Bundelkhand Mahavidyalaya के संयोजन में हमारे कहानी-संग्रह 'घर से फरार जिंदगियाँ' का लोकार्पण विश्वविख्यात आलोचक, साहित्यकार एवं हिन्दी विभाग, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष पूजनीय आचार्य पुनीत बिसारिया के मुख्य आतिथ्य,  चर्चित साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी, लोकविद पूजनीय गुरूजी डॉ० रामशंकर भारती के विशिष्ट आतिथ्य एवं बुन्देलखण्ड महाविद्यालय के प्राचार्य, कानूनविद पूजनीय प्रो० एस० के० राय ProfSantosh Kumar Rai की अध्यक्षता में किया गया। मुख्य वक्ता प्रसिद्ध कथाकार, बुन्देलखण्ड महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका 'उन्नयन' के संपादक एवं हिन्दी विभाग, बुन्देलखण्ड महाविद्यालय के पूजनीय आचार्य नवेन्द्र कुमार सिंह रहे।




आचार्य पुनीत बिसारिया जी Puneet Bisaria ने हिन्दी विभाग, बुंदेलखंड कॉलेज और बुंदेलखंड की साहित्य परंपरा को रेखांकित करने के साथ आलोचनात्मक टिप्पणी करते हुए कहा कि - " कुशराज की शुरूआती कहानियों में शैल्पिक परिवक्वता नहीं है लेकिन कथानकों में विविधता है। इन्होंने अपनी पहली कहानी 'रीना' में महिला किसान की समस्या को उठाया है। साहित्य जगत में महिला किसान के जीवन संघर्ष पर बहुत कम लोग ही लिखे हैं इसलिए कुशराज का कथा लेखन में प्रवेश बेहतर है। 'घर से फरार जिंदगियाँ' कहानी वास्तव में अच्छी कहानी है, ये सफल प्रेमकहानी है। 'भूत' कहानी के शिल्प पर और काम किया जाता तो ये कहानी प्रेमचंद की 'मंत्र' कहानी जैसी कहानी बन जाती। शिष्य और युवा कथाकार कुशराज का प्रयास बेहतर है। कुशराज कहानी के शिल्प पर ध्यान केंद्रित करके और वैयक्तिकता को सार्वभौमिकता में बदलकर अपने आपको और मांझेंगे तो कथा साहित्य के क्षेत्र में प्रेमचंद और वृंदावनलाल वर्मा जैसे अमर कथाकार बन सकते हैं।"




गुरूजी डॉ० रामशंकर भारती जी Ramshankar Bharti ने कहा कि - " आज का युग बहुत विसंगतियों का दौर है। इन परिस्थितियों में कोई गुरू या शिक्षक के रूप में हमारा मार्गदर्शन करता है, जब हम नए रास्ते बनाने की ओर जा रहे हैं तब ऐसे गुरू को नमन करना चाहिए। कुशराज एक विद्यार्थी ही नहीं एक लेखक भी है। लेखक बिरादरी का व्यक्ति है। इस नाते है हमें उसका समर्थन करना चाहिए। नवोदित लेखक को व्याकरण और शिल्प जैसी चारदीवारी की मर्यादाओं से मुक्त रखना चाहिए। कथा के शिल्प में धीरे - धीरे परिपक्वता आ जाएगी। कुशराज ने बहुत अच्छी कहानियाँ लिखीं हैं। उनकी कहानियों में ग्रामीण समाज, लोक संस्कृति, बुन्देली भाषा की अनुपम झलक मिलती है। ग्रामीण समाज की समस्याओं, किसान की दशा, अन्तरजातीय विवाह, पाखंड, विद्रूपताओं, आज के समाज की कटू सच्चाई को उजागर करते हुए कुशराज की कहानियाँ सामाजिक बदलाव का शंखनाद करतीं हैं। "




आचार्य नवेद्र कुमार सिंह जी Prof. Nagendra Kumar Singh ने बीज वक्तव्य में कहा कि - कथाकार कुशराज की पहली कहानी रीना का आनंद यह है कि आप जहाँ से जुड़े हैं, उस संवेदना को, उस भाषा को, संस्कृति को लेकर लिखने का प्रयास कर रहे हैं। वो शब्द अच्छे लगे - 'भुनसारें', 'बिन्नू', 'टपरिया' इत्यादि। जो प्रायः बुंदेलखंड में मिलते हैं, हमारे अवध और भोजपुरी क्षेत्र में नहीं। एक और अच्छी कहानी है 'सोनम : एक बहादुर लड़की'। ये शहरी मध्यवर्ग की कहानी है। बुंदेलखंड के परिवेश से निकलकर विद्यार्थी दिल्ली के विद्यार्थी जीवन को कैसे समझता है। इसका प्लाट बहुत गजब का है। ये एक लम्बी कहानी हो भी सकती है। किंतु यहाँ भी शिल्प की समस्या है। जहाँ बुंदेलखंड का पात्र है वहाँ बुंदेली शब्दावली प्रयोग बढ़िया है, लेकिन जहाँ घुर शहरी मध्य वर्ग है, वहाँ उसकी भाषा का प्रयोग होना जरूरी है। कुल मिलाके के कहानी अच्छी है। 'भूत' कहानी में अच्छी है लेकिन यहाँ भी 'पुत्री' शब्द का प्रयोग कहानी के शिल्प को कमजोर करता है। 'तीन लौंडे' और  'घर से फरार जिंदगियाँ' कहानी में शिष्य कुशराज ने सामाजिक विसंगतियों और समकालीन समस्याओं को आधार बनाया है और अच्छा प्रयास किया है। एक विद्यार्थी-लेखक के कथा - संग्रह का कॉलेज में विमोचन होना, हिन्दी विभाग के लिए गौरव की बात है। " 





लोकार्पण समारोह के शुभारंभ में हमने (कथाकार कुशराज) अपने कहानी-संग्रह की प्रस्तावना रखी और 'घर से फरार जिंदगियाँ' कहानी के कथानक और उद्देश्य पर चर्चा की।




साहित्यकार साकेत सुमन चतुर्वेदी जी Saketsuman Chaturvedi ने अपने वक्तव्य में कहा कि - " युवा लेखक कुशराज के कार्यों की जितनी प्रशंसा करें, उतनी कम है। इनकी एक विशेषता है, लगन है इनकी, समर्पण है हिन्दी के प्रति और बुन्देली के प्रति भी। बड़ो को सम्मान देना, उनसे निरंतर सीखते रहना। कुशराज की किताब 'घर से फरार जिंदगियाँ' का शीर्षक बहुत प्यारा है। 'घर से फरार जिंदगियाँ' कहानी आज के समय में लिखना जरूरी भी था क्योंकि रोजाना अखबारों में हम पढ़ते हैं कि युवा अपनी प्रेमिका को लेकर घर से भागा या प्रेमिका प्रेमी के साथ फरार आदि - आदि। युवा कुशराज के द्वारा युवा - जीवन कहानियाँ लिखना सराहनीय है। "



साहित्यकार निहाल चंद्र शिवहरे जी Nihal Chandra Shivhare ने अपने वक्तव्य में कहा कि - आज हमने कुशराज का कहानी-संग्रह 'घर से फरार जिंदगियाँ' पढ़ा है। आगे इनके अनेक कहानी-संग्रह आते रहें। प्रायः यह कहा जाता है कि जीवन में जो प्रेम होता है, वो पहाड़ की चोटी भी भाँति होता है। जब युवा - युवती प्रेम में होते हैं, तब उन्हें सारी दुनिया को भूलकर ऐसा लगता है कि वो पहाड़ की चोटी पर चढ़ रहे हैं। पहाड़ की चोटी चढ़ते हुए जब वो अपना कोई निर्णय ले लेते हैं, जिसमें समाज का, परिवार का आशीर्वाद और साथ नहीं मिलता है तो फिर जीवन में विसंगितियाँ आने शुरू हो जाती हैं। जैसा कुशराज जी ने कहा है कि 'घर से फरार जिंदगियाँ' का नायक इंस्पेक्टर बन गया तो उसका प्रेम सफल हो गया। हाँ सच है कि जब आप सफल होकर अच्छा रोजगार - नौकरी पा लेते हैं तभी प्रेम विवाह सफल होते हैं। इनकी ये कहानी  युवाओं के लिए प्रेरणादायी है। "


साहित्यकार अजय कुमार दुबे ने अपने वक्तव्य में कहा कि - " कुशराज की कहानी 'घर से फरार जिंदगियाँ' आज की युवा पीढ़ी की सच्चाई की कहानी है और युवा को नई दिशा देने वाली है। "



कार्यक्रम का संचालन चर्चित फिल्म 'गुठली लड्डू' के खलनायक, साहित्यकार एंव अभिनेता आरिफ शहडोली जी Arif Shahdoli ने किया। 





अथितियों और उपस्थिति जनों का आभार हिन्दी विभाग, बीकेडी कॉलेज के यशस्वी विभागाध्यक्ष आचार्य संजय सक्सेना जी व्यक्त किया और अपने शिष्य कुशराज को बधाई दी।








समारोह में पूजनीय आचार्या डॉ० वंदना कुशवाहा Dr. Vandana Kushwaha , साहित्यकार श्यामशरण नायक 'सत्य' Shyam Nayak , बुन्देली लोककलाकार माताप्रसाद शाक्य, कहानीकार अजय दुबे, बकालत के साथियों में एडवोकेट सतेंद्र कुमार पांचाल Adv Satyendra Kumar Panchal और एडवोकेट शैलेन्द्र कुमार पांचाल Adv Shailendra Kumar , बदलाओ की पाठशाला के संस्थापक साथी सामाजिक कार्यकर्त्ता दीपेश मिश्रा Deepesh Mishra , हिन्दी विभाग के साथियों में युवा लेखक दीपक नामदेव Deepak Namdev , युवा लेखिका प्रीतिका बुधौलिया Pritika Budholiya , शिक्षिका कल्पना नरबरिया, शिक्षिका अंजू रायकवार, शिक्षक शिवम हरी इत्यादि  उपस्थित रहे। 


लोकार्पण समारोह का आयोजन करने के लिए और लेखन की दुनिया एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हमें आगे बढ़ने के लिए सदा प्रोत्साहित करने वाले हिन्दी विभाग, बुन्देलखण्ड महाविद्यालय, झाँसी का हम भौत - भौत आभार व्यक्त करते हैं।





लेखन की दुनिया और सामाजिक क्षेत्र में आज हम जो भी हैं, वो अपने पूर्वजों माँ सीता, भगवान श्रीराम, लव - कुश, राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले एवं महात्मा जोतिबा फुले और प्रेरणास्रोत समाजसेवी दादाजी किसान पीताराम कुशवाहा 'पत्तू नन्ना' ; दादी किसानिन रामकली कुशवाहा 'बाई' ; सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, बरूआसागर, झाँसी ; हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली ; बुन्देलखण्ड कॉलेज, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी ; हंसराज कॉलेज की प्राचार्या प्रो० रमा जी Prof. Rama , साहित्यिक गुरू डॉ० रामशंकर भारती जी, आचार्य पुनीत बिसारिया जी, थावे विद्यापीठ, बिहार के कुलपति आचार्य डॉ० विनय कुमार पाठक जी Dr. Vinay Kumar Pathak , श्रीपीताम्बरा पीठ संस्कृत महाविद्यालय, दतिया की आचार्या डॉ० रमा शर्मा जी Dr. Rama Sharma , आचार्य संजय सक्सेना जी, आचार्य नवेन्द्र कुमार सिंह जी और आचार्या डॉ० वंदना कुशवाहा जी, 'घर से फरार जिंदगियाँ' के प्रकाशक लॉयन्स पब्लिकेशन, ग्वालियर Lion's Publication और उसकी स्वामिनी युवा लेखिका, साहित्य जंक्शन पत्रिका Sahitya Junction Magazine की सम्पादक, प्रकाशक शिवांगी पुरोहित जी Shivangi Purohit  के साथ ही लेखक - लेखिका साथियों और मित्रों के अमूल्य योगदान के कारण हैं। हम सबका भौत - भौत आभार व्यक्त करते हैं। 


।। जै सीता मैया की ।।

।। जै जै बुंदेलखंड ।।

।। बदलाओकारी जिन्दाबाद ।।


 ©️ किसान गिरजाशंकर कुशवाहा

      'कुशराज झाँसी'

(लेखक, सामाजिक कार्यकर्त्ता, प्रवर्त्तक - बदलाओकारी विचारधारा)

१३/०१/२०१४, झाँसी, अखंड बुंदेलखंड


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