कहानी (Story) : प्रकृति (Pirkiti) - कुशराज झाँसी (Kushraj Jhansi)
*** कहानी (Kahani) -
" प्रकृति " (Pirkiti) ***
बुंदेलखंड निवासी और दिल्ली में स्कूल टीचर दीपराज सिंह कुशवाहा की बेटी नित्या सिंह कुशवाहा, जो अभी महज नौ साल की है, वो अपनी गर्मियों की छुट्टियों में अपने गाँव जरबो आती है।
प्रकृति की गोद में बसे गाँव में नित्या आज पहली बार ही आयी है, जबसे वो इस दुनिया में आई है। उसका दिल्ली में ही जन्म हुआ और अभी तक अपने मम्मी - पापा के साथ दिल्ली में ही रह रही थी। उसने अपने स्कूल में प्रकृति और पर्यावरण के बारे में पढ़ा था, लेकिन अपनी आँखों से अब तक देखा नहीं था।
लेकिन आज प्रकृति को करीब से देखकर नित्या फूलों नहीं समा रही है। एक ओर दिल्ली, जो दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है, जहाँ न तो स्वच्छ पानी मिल रहा है और न ही शुद्ध हवा। वहाँ के ध्वनि और रासायनिक प्रदूषण के बारे में कहना ही क्या। दूसरी ओर, ये जरबो गाँव है, जहाँ प्रकृति की अनुपम छटा बिखरी हुई है।यहाँ प्रदूषण का दूर - दूर तक नामोनिशान नहीं है।
गाँव में पहाड़ों पर बर्फ जमी है और तरह - तरह के पेड़ लगे हैं। पेड़ पर्यावरण को शुद्ध बनाए हुए हैं। ठण्डी - ठण्डी ताजी हवा मिल रही है, दिल्ली की तरा यहाँ एसी और फ्रिज की जरूरत नहीं पड़ती है।
उस एसी और फ्रिज की जिससे निकलने वाली हानिकारक गैस सीएफसी हमारी रक्षा कवच , ओजोन परत को क्षति पहुँचा रही है। नित्या अपनी मम्मी सिया से कहती है -
" मम्मी ! हम भी प्रदूषण को मिटायेंगे, भौत सारे पेड़ लगाएंगे, पेड़ों को बचाएँगे और दुनिया के सब लोगों को भी प्रकृति को, पर्यावरण को बचाने के लिए सहयोगी बनने के लिए जागरूक भी करेंगे.....। "
फिर मम्मी कहती हैं - " हाँ! नित्या बिटिया, आप बिल्कुल ठीक कह रही हो, हम सब मिलकर प्रकृति को बचाएँगे और सबसे पहले दिल्ली को ही प्रदूषण मुक्त बनाएंगे। तो अब दिल्ली जाकर पर्यावरण बचाओ अभियान शुरू करते हैं.....।"
_16/07/ 2020 _ 09:43 दिन _ जरबोगॉंव झाँसी
( 'घर से फरार जिंदगियाँ' कहानी-संग्रह से...)
©️ कुशराज झाँसी
(प्रवर्त्तक - बदलाओकारी विचारधारा, बुंदेलखंडी युवा लेखक, सामाजिक कार्यकर्त्ता)
" 'प्रकृति' शीर्षक की कहानी पर्यावरण प्रदूषण के रोकथाम के लिए प्रेरित करती है। इस कहानी में जरबो गाँव की प्राकृतिक संपदा से प्रेरित होकर युवती सिया और बेटी नित्या दिल्ली जैसे महानगर की प्रदूषित आबोहवा को बदलने की दिशा में काम करती हैं। "
- डॉ० रामशंकर भारती 'गुरूजी' (साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी)
२७/११/२०२३, झाँसी
" आठवीं कहानी 'प्रकृति' पर्यावरण संरक्षण पर आधारित है, जिसे थोड़ा अधिक विस्तार दिया जाता तो यह एक अच्छी कहानी बन सकती थी। "
- प्रो० पुनीत बिसारिया
(आचार्य एवं पूर्व अध्यक्ष - हिन्दी विभाग, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी)
20/12/2023, झाँसी
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