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बदलाओकारी विचारधारा / कुशराजवाद / किसानवाद के प्रवर्त्तक - किसान गिरजाशंकर कुशवाहा / कुशराज झाँसी / सतेंद सिंघ किसान के साहित्यिक, भाषाई, आंचलिक, क्षेत्रीय, देहाती, शहरी, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, शैक्षिक, धार्मिक, नैतिक, वैज्ञानिक, सिनेमाई, पर्यावरणीय, दार्शनिक, ऐतिहासिक, विमर्शीय (किसान विमर्श, स्त्री विमर्श, आदिवासी विमर्श, पुरुष विमर्श, वेश्या विमर्श, दिव्यांग विमर्श, किन्नर विमर्श, पर्यावरण विमर्श...) और अनुदित लेखन का हिन्दी, कछियाई, बुंदेली और अंग्रेजी भाषा में संकलन...
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Showing posts from May, 2024
हिन्दी कविता : वृद्ध माता-पिता हैं सच्चे हितैषी - कुशराज झाँसी
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बुंदेली कबीता : बूढ़े बाप-मताई हैं साँचे हितैसी - सतेंद सिंघ किसान 'कुसराज झाँसी'
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प्रकृति से नाता जोड़ो आंदोलन - कुशराज झाँसी
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भाषा की राजनीति - किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी'
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दुखते रग पर मरहम जैसी सीमा मधुरिमा की कविताएँ - डॉ० रिंकी रविकांत
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कुशराज झाँसी के परिवार और पति-पत्नी के रिश्ते पर विचार.....
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दैनिक जागरण झाँसी में नई भारत सरकार से बुंदेलखंडियों के हक में किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी' की आवाज.....
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