Wednesday 29 May 2024

प्रकृति से नाता जोड़ो आंदोलन - कुशराज झाँसी

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*** प्रकृति से नाता जोड़ो आंदोलन - कुशराज झाँसी ***


आज के दौर में प्रकृति की मार झेल रही दुनिया में झाँसी समेत भारत देश में वैश्विक तापन के चलते गर्मी असहनीय हो गई है। जहाँ कल 28 मई 2024 को झाँसी 49०C के साथ पिछले 132 सालों में सबसे गर्म रहा तो वहीं आज 29 मई 2024 को दिल्ली में 52.3०C तापमान के साथ सबसे गर्म राजधानी रही।


इस जानलेवा और भीषण गर्मी से निजाप पाने के लिए हम सबको प्रकृति से नाता जोड़ना होगा। भोगवादी संस्कृति से हटकर प्रकृतिपूजक किसान हिन्दू - आदिवासी संस्कृति को अपनाना होगा। 


पर्यावरण संरक्षण को प्रेरित करता मेरा पर्यावरण विमर्श पर लेखन की पहली कड़ी में प्रस्तुत है बुंदेली भाषा की कछियाई बोली में लिखी लघुकथा/कहानी 'पिरकिती'। जो बुंदेली झलक पर भी प्रकाशित हो चुकी है।


https://bundeliijhalak.com/pirkiti/


कछियाई-बुंदेली लघुकथा - " पिरकिती "

बुंदेलखंड के रैबे बाय और दिल्ली में सरकारी पाठसाला के मास्साब दीपराज सिंघ की बिटिया नित्या सिंघ कुसबाहा, जौन अबे आठई साल की हैगी। बा अपनी जेठ मासन की इसकूल की छुट्टियन में अपने गाँओं जरबय आऊत।


पिरकिती की ओली में बसे गाँओं में नित्या आज पैली बैर आई हैगी, जबसें बा यी दुनिया में आई। ऊकौ दिल्ली मेंईं जनम भओ और अबे लौक अपने मताई - बाप के संगे दिल्ली मेंईं रई हैगी। ऊनें अपने इसकूल में पिरकीती और परयाबरन के बारे में पढ़ो हतो। लेकिन अपनी आँखन सें अब लौक परिकिती कौ नजारौ देखो नईं हतो। लेकिन आज पिरकिती खों नेंगर सें देखकें नित्या फूलन नईं समा रई।  


एक तरफ; दिल्ली, जौन दुनिया कौ सबसें जादां पिरदूसित सैहेर हैगो, जितै ना तो साफ - सुथरो पानूँ मिल रओ और ना सुद्द हबा। उतै के धौनी और रसायनिक पिरदूसन के बारे में का कई जाए। 


दूसरी तरफ; जौ जरबय गाँओं हैगो, जितै पिरकिती की सुंदर छटा बिखरी हैगी। इतै पिरदूसन कौ दूर - दूर लौक नामनिसान नईंयां। गाँओं में पार पे सिद्दबब्बा कौ मन्दर बनौ हैगो और केऊ तरा के रूख और झाड़ी - झंकाड लगे हैंगे। रूख परयाबरन खों सुद्द बनाए हैगें। ठण्डी - ठण्डी, ताजी - ताजी हबा मिल रई हैगी, दिल्ली की तरा इतै ए०सी०और फिरिज की जरूरत नईं पड़तई। ऊ ए०सी० और फिरिज की; जीसें निकरबे बाई खतरनाक गैस सी०एफ०सी०, जौन हमाई रक्छा माई, ओजोन परत खों नुकसान पौंचा रई।


नित्या अपनी मताई सिया से केऊत - " अम्मा! हम भी पिरदूसन खों मिटाएं। भौत सारे पेड़े लगाएं, पेड़न खों बचाएँ और दुनिया के सब लोगन खों भी पिरकिती और परयाबरन खों बचाबे के लानें सैयोगी बनबे खों जागरूक भी करहैं।"


फिर मताई केऊत - " हओ! नित्या बिटिया, तुम बिलकुल सई कै रईं, हम सब मिलकें पिरकिती खों बचाहैं और सबसें पैलें दिल्ली खोंईं पिरदूसन मुक्त बनाहैं। तो अब दिल्ली जाकें परयाबरन बचाओ अभयान सुरूं करतई।"


©️ सतेंद सिंघ किसान 

((मूलनाम - किसान गिरजाशंकर कुशवाहा))

(सदस्य : बुंदेलखंड साहित्य उन्नयन समिति झाँसी, युबा बुंदेलखंडी लिखनारो, समाजिक कारीकरता)

रचनाटेम : १३/१२/२०२२_९:२५रात_झाँसी

विधा : लघुकथा / किसा

भासा : कछियाई - किसानी - बुंदेली (बुंदेलखंडी)

बिलॉग : kushraaz.blogspot.com

ईमेल : kushraazjhansi@gmail.com

फोन : 8800171019, 9569911051

पतौ : नन्नाघर, जरबौ गाँओं, बरूआसागर, झाँसी (बुंदेलखंड) - २८४२०१


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प्रकृतिपूजकहिन्दूसंस्कृतिअपनाओ

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