Friday 2 August 2024

बुंदेलखंड कालिज, झाँसी से लघुशोध "21वीं सदी में बुंदेली : एक मूल्यांकन" और महाविद्यालय में सर्वोच्च स्थान के साथ हमने परास्नातक 'एम०ए० हिन्दी' की उपाधि अर्जित की - किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी'

 *** बुंदेलखंड कालिज, झाँसी से लघुशोध "21वीं सदी में बुंदेली : एक मूल्यांकन" और महाविद्यालय में सर्वोच्च स्थान के साथ हमने परास्नातक 'एम०ए० हिन्दी' की उपाधि अर्जित की ***



दिल्ली विश्वविद्यालय के विश्वप्रसिद्ध महाविद्यालय 'हंसराज कॉलेज, दिल्ली' से स्नातक 'बी०ए० (ऑनर्स) हिन्दी' की उपाधि अर्जित करने के बाद वैश्विक कोरोना महामारी में हम घर लौट आए। फिर अपने गॉंव जरबौ में घर पर रहकर सिविल सेवा की तैयारी की और साथ ही लेखन-कार्य भी करते रहे। इसी बीच 'बुंदेलखंड कालिज, झाँसी' से कानून स्नातक की उपाधि अर्जित की। 


कानून स्नातक के दौरान सुप्रसिद्ध शिक्षाविद, आलोचक, हिन्दी विभाग - बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी के पूर्व अध्यक्ष एवं बुंदेलखंड साहित्य उन्नयन समिति, झाँसी के अध्यक्ष पूजनीय गुरूजी आचार्य पुनीत बिसारिया का सान्निध्य मिला और उन्होंने हमारी लेखन-प्रतिभा को पहचानकर बुंदेलखंड साहित्य उन्नयन समिति की योजना 'गुमनाम से नाम की ओर' के अन्तर्गत हमारी पहली किताब - 'पंचायत' (हिन्दी कहानी-कविता संग्रह) अनामिका प्रकाशन, प्रयागराज से प्रकाशित कराया और साहित्य की दुनिया में हमें अपनी पहचान कायम करने का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने हमें हिन्दी से परास्नातक करने को भी प्रेरित किया।


बुंदेलखंड साहित्य उन्नयन समिति, झाँसी में ही हमें सुप्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी, हिन्दुस्तानी एकेडेमी, प्रयागराज के 'एकेडेमी सम्मान' से विभूषित साहित्यकार पूजनीय गुरूजी डॉ० रामशंकर भारती का सान्निध्य मिला। उन्होंने झाँसी और बुंदेलखंड के साहित्यिक - सांस्कृतिक आयोजनों में अपने साथ सहभागिता कराई और हमारी लेखन-प्रतिभा को निखारा। इसके साथ ही उन्होंने शोध और आलोचना जगत में हमारा पदार्पण कराया। गुरूजी ने अपने आलोचना ग्रंथ 'डॉ० विनय कुमार पाठक और 21वीं सदी के विमर्श' के संपादन और सहलेखन का दायित्त्व सौंपा। यह ग्रंथ भावना प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित हुआ है। आजादी के अमृत काल में गुरूजी की समकालीन विमर्शों की 75 हिन्दी कविताओं का संग्रह 'आखिर कब तक' हमारे संपादन में स्वतंत्र प्रकाशन, दिल्ली से शीघ्र ही प्रकाशित होने वाला है।


आचार्य पुनीत बिसारिया जी और डॉ० रामशंकर भारती जी की प्रेरणा से बुंदेलखंड कालिज, झाँसी के हिन्दी विभाग से परास्नातक 'एम०ए० हिन्दी' की पढ़ाई करने लगे। बुंदेलखंड कालिज, झाँसी के हिन्दी विभाग में विद्यार्थी जीवन हमारे जीवन का स्वर्णिम काल रहा। यहाँ हमें विभागाध्यक्ष आचार्य संजय सक्सेना जी ने बुंदेली काव्य, हिन्दी कथा साहित्य, स्त्री विमर्श, सिनेमा अध्ययन और पत्रकारिता प्रशिक्षण आदि प्रश्रपत्र पढ़ाए। आचार्य संजय जी द्वारा की गई प्रेमचंद के महानतम किसानवादी उपन्यास - 'गोदान' की व्यावहारिक व्याख्या और 'सिनेमा का समाज में योगदान' की विवेचना ने हमें बहुत प्रभावित किया। 


आचार्य नवेन्द्र कुमार सिंह जी ने दलित विमर्श, प्रयोजनमूलक हिन्दी, पटकथा लेखन और विशेष साहित्यकार अध्ययन - प्रेमचंद, शोध परियोजना आदि प्रश्रपत्र पढ़ाए। आचार्य नवेन्द्र जी द्वारा बताए गए 'शासकीय पत्रों के लिखने के तरीके' और 'पटकथा लेखन की रूपरेखा' ने हमें बहुत प्रभावित किया।


डॉ० वंदना कुशवाहा, श्री अनिरुद्ध गोयल, डॉ० श्याममोहन पटेल और डॉ० शिवप्रकाश त्रिपाठी शिव प्रकाश आदि सहायक आचार्यों ने हिन्दी साहित्य का इतिहास, प्राचीन एवं मध्यकालीन हिन्दी काव्य, आधुनिक हिन्दी काव्य, हिन्दी नाटक एवं प्रकीर्ण गद्य विधाएँ, बुंदेली काव्य, तुलनात्मक भारतीय साहित्य - कबीर और तिरुवल्लुवर, काव्यशास्त्र एवं साहित्यालोचन, भाषा विज्ञान आदि प्रश्नपत्र पढ़ाए।


आचार्य नवेन्द्र कुमार सिंह जी के संपादन में निकलने वाली महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका 'उन्नयन' में हमारी दो हिन्दी कहानियाँ सन 2023 में 'रीना' और सन 2024 में 'पंचायत' प्रकाशित हुईं। विभाग ने राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर 12 जनवरी 2024 को हमारे हिन्दी कहानी-संग्रह 'घर से फरार जिंदगियाँ' का लोकार्पण समारोह एवं परिचर्चा का आयोजन कराया।


आचार्य संजय सक्सेना जी के निर्देशन में हमने "21वीं सदी में बुंदेली : एक मूल्यांकन" नामक शीर्षक पर लघुशोध किया। लघुशोध की मौखिकी-परीक्षा 19 जुलाई 2024 को सम्पन्न हुई, जिसमें बाह्य परीक्षक के रूप में दयानंद वैदिक कालिज, उरई के प्राचार्य एवं हिन्दी विभाग के आचार्य डॉ० राजेश चंद्र पांडेय जी उपस्थित रहे। आंतरिक परीक्षक के रूप में विभागाध्यक्ष आचार्य संजय सक्सेना, आचार्य नवेन्द्र कुमार सिंह जी के साथ ही सहायक आचार्य उपस्थित रहे।



हंसराज कॉलेज, दिल्ली (दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली) और बुंदेलखंड कालिज, झाँसी (बुंदेलखंड़ विश्वविद्यालय, झाँसी) का हमारे व्यक्तित्व के निर्माण में अविस्मरणीय योगदान रहा है। इन्हीं दो कॉलेजों के योगदान की बजह से हम राजनीति, लेखन, शिक्षा, समाजसेवा, कानून, कृषि, पर्यावरण आदि क्षेत्रों में विशेष पहचान बना पाए हैं। अब तक के विश्वविद्यालयी जीवन में परिवार के सहयोग, दादा-दादी के आशीर्वाद, सहपाठी-साथियों के स्नेह एवं सहयोग और गुरूजनों के मार्गदर्शन एवं आर्शीवाद से हमारी तीन पुस्तकें - 'पंचायत', 'घर से फरार जिंदगियाँ', 'डॉ० विनय कुमार पाठक और इक्कीसवीं सदी के विमर्श', अनेक लेख और शोधपत्र प्रकाशित हो पाए हैं।


कल 31 जुलाई 2024 को हमारा 'परास्नातक हिन्दी' का अंतिम परिणाम बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी ने जारी किया। गुरूजनों, दादा-दादी और माता-पिता के आशीर्वाद से हमने 8.23 सी०जी०पी०ए० यानी 78.18% से बुंदेलखंड कालिज, झाँसी में सर्वोच्च स्थान के साथ 'परास्नातक हिन्दी' की उपाधि अर्जित की है। 🎓🥇🤟



हिन्दी विभाग, बुंदेलखंड कालिज, झाँसी के हम सदा ऋणी रहेंगे। हिन्दी विभाग में बिताया दो वर्ष का विद्यार्थी जीवन हमारे स्मृति पटल पर सदा अंकित रहेगा। हमें सबसे ज्यादा सहपाठियों, साथियों और जूनियरों के साथ बिताए अनोखे पल याद रहेंगे। प्रगति पथ पर अग्रसर होने हेतु कालिज से विलग होने के अवसर हम अपने पूजनीय गुरूजनों - आचार्य संजय सक्सेना, आचार्य नवेन्द्र कुमार सिंह, डॉ० वंदना कुशवाहा, श्री अनिरुद्ध गोयल, डॉ० श्याममोहन पटेल और डॉ० शिवप्रकाश त्रिपाठी को सत-सत नमन करते हैं और उनका भौत-भौत आभार भी व्यक्त करते हैं।


©️ किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 

'कुशराज झाँसी'

(एम०ए० हिन्दी - बुंदेलखंड कालिज, झाँसी)

01/08/2024,10:15 रात, झाँसी


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