बुन्देलखण्ड प्रान्त बनाओ - गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी'
लेख : " बुन्देलखण्ड प्रान्त बनाओ "
बुन्देलखण्ड का भारत में महत्त्व एवं अस्तित्त्व प्राचीन काल से रहा है। बुन्देलखण्ड प्रमुख रूप से बुन्देले राजपूतों से सम्बद्ध रहा है। विद्वानों का मानना है कि बुन्देलों की निवास भूमि होने के कारण यह भूभाग 'बुन्देलखण्ड' कहलाया।
बुन्देलखण्ड शब्द का विकास 'विन्ध्य' से इस प्रकार हुआ है -:
विन्ध्य - विनध्य - विन्धय - विन्ध्येल - बुन्देल (खण्ड)
विन्ध्य - विनध्य - विन्धय - विन्ध्येल - बुन्देल (खण्ड)
एक मान्यता यह भी है कि बुन्देले इस भूभाग के मूल निवासी नहीँ थे। वे यहाँ आकर बसे और 'बुन्देले' कहलाए। इस प्रदेश में विन्ध्य पर्वत की श्रेणियाँ हैं। इस कारण यह विन्ध्यखण्ड अथवा 'विन्ध्येल
खण्ड' कहलाया और यह कालांतर में 'बुन्देल खण्ड' हो गया।
बुन्देलखण्ड : सीमा और क्षेत्र -:
इस विषय में दो काव्य पंक्तियाँ कही जाती हैं -
"गिरिगव्हर नद-निर्झर मलयता गुल्म तरू कुञ्ज भूमि है,
तपोभूमि साहित्य कलायुद वीर भूमि बुन्देल भूमि है।"
वर्तमान में सामान्य रूप से उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के निम्नलिखित जिले बुन्देल खण्ड के क्षेत्र में आते हैं -:
उत्तर प्रदेश - 1. झाँसी 2. ललितपुर 3. बाँदा 4. जालौन 5. हमीरपुर 6. महोबा 7. चित्रकूट
मध्य प्रदेश - 1. टीकमगढ़ 2. छतरपुर 3. पन्ना 4. सागर 5. नरसिंहपुर 6. भिण्ड 7. दतिया 8. होशंगाबाद 9. मुरैना 10. गुना 11. ग्वालियर 12. शिवपुरी 13. विदिशा 14. दमोह 15. श्योपुर 16. कटनी 17. रायसेन आदि।
बुन्देलखण्ड के निवासियों को वर्तमान में बुन्देलखण्डी कहा जाता है। बुन्देलखण्ड की भाषा 'बुन्देली' अथवा 'बुन्देलखण्डी' है, जो हिन्दी का अपभ्रंश रूप है। यह भाषा यहाँ पर मुख्य रूप से बोली जाती है। इस भाषा के साहित्य में महत्त्वपूर्ण एवं प्रमुख तथा प्रसिद्ध साहित्यकार जगनिक, ईसुरी, चंदबरदाई हैं। इसलिए बुन्देलखण्ड प्रान्त बनाओ और उसकी राजभाषा बुन्देली बनाओ।
बुन्देलखण्ड का प्रत्येक क्षेत्र में अद्वितीय एवं महत्त्वपूर्ण स्थान है। जैसे - साहित्य के क्षेत्र में हिन्दी एवं विश्व साहित्य के क्षेत्र में यहाँ के राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, वृन्दावनलाल वर्मा, माखनलाल चतुर्वेदी, महावीरप्रसाद द्विवेदी, सियारामशरण गुप्त, इन्दीवर आदि अनेकों विद्वानों ने उल्लेखनीय कार्य किया है। शौर्य के क्षेत्र में तो इसका अद्वितीय अस्तित्त्व रहा है, जैसे - सन् 1857 ई० के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में यहाँ के वीर और वीरांगनाओं ने सफल नेतृत्त्व किया। बुन्देलखण्ड की झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई, झलकारीबाई, अवन्तीबाई, गौस खाँ, कर्माबाई, रघुनाथजी इत्यादि वीर एवं वीरांगनाएँ देश को स्वतंत्र कराने में अपने प्राणों को न्यौछावर कर शहीद हो गए। सन् 1947 ई० के स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी नेता चन्द्रशेखर आजाद बुन्देलखण्ड के ओरछा में तमसा (बेतवा) नदी के तट पर रहते थे। खेल के क्षेत्र में तो बुन्देलखण्ड की झाँसी को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले हॉकी के महान जादूगर मेजर ध्यानचन्द 'दद्दा' विश्वप्रसिद्ध हैं। बुन्देलखण्ड के 'झाँसी' को बुन्देलखण्ड का केन्द्र कहा जाता है क्योंकि झाँसी के नागरिक झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, झलकारीबाई, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, वृन्दावनलाल वर्मा, इन्दीवर, मेजर ध्यानचंद 'दद्दा' आदि ने बुन्देलखण्ड का नाम भारत में ही नहीँ बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध किया है इसलिए बुन्देलखण्ड की राजधानी 'वीरभूमि झाँसी' बनाओ।
बुन्देलखण्ड का प्रत्येक क्षेत्र जैसे - शौर्य, खेल एवं साहित्य इत्यादि में महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसका वर्णन स्वरचित कविता ''बुन्देलखण्ड'' में किया जा रहा है, जो अग्रलिखित है -:
सबसे प्यारा सबसे न्यारा बुन्देल खण्ड क्षेत्र हमारा।।
यहाँ की पावन नगरी वीरभूमि झाँसी पर झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने लिए स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण न्यौछावर।
यही वीरभूमि झाँसी के बुन्देल खण्ड का कश्मीर बरूआसागर में जन्मे थे फिल्मी गीतकार इन्दीवर।
सबसे प्यारा सबसे न्यारा बुन्देल खण्ड क्षेत्र हमारा।
इस क्षेत्र पर खाद्यानों, सब्जियों और फलों का अत्यधिक उत्पादन करता यहाँ का खेरा।
सबसे प्यारा सबसे न्यारा बुन्देल खण्ड क्षेत्र हमारा।
यहाँ के दशावतार मंदिर, रामराजा मंदिर और जटायु मंदिर 'जराय का मठ' आदि हैं विख्यात।
यहाँ के ओरछा धाम, चित्रकूट धाम और रतनगढ़ धाम इत्यादि धाम हैं पवित्र।
सबसे प्यारा सबसे न्यारा बुन्देल खण्ड क्षेत्र हमारा।
यहाँ पर झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, झलकारीबाई, महाराजा खेतसिंह खंगार, राजा मर्दन सिंह और आल्हा - ऊदल जैसे वीरों -वीरांगनाओं ने की क्षेत्र की रक्षा।
यहाँ के झाँसी का किला, गढ़कुण्डार का किला, तालबेहट का किला और महोबा का किला आदि में वीर - वीरांगनाएँ करते थे अपनी सुरक्षा।
सबसे प्यारा सबसे न्यारा बुन्देल खण्ड क्षेत्र हमारा।
इस तपोभूमि पर महर्षि वेदव्यास काल्पी - महाभारत के रचयिता, महर्षि वाल्मीकि चित्रकूट - रामायण के रचयिता और गोस्वामी तुलसीदास बाँदा - श्रीरामचरितमानस के रचयिता जैसे जन्मे महान विद्वान।
इस पावनभूमि के चित्रकूट वन में चौदह वर्ष रहे थे श्री लक्ष्मण जी, माँ सीता जी और श्रीराम भगवान।
सबसे प्यारा सबसे न्यारा बुन्देल खण्ड क्षेत्र हमारा।
यहाँ पर राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त चिरगाँव, उपन्यासकार वृन्दावनलाल वर्मा मऊरानीपुर और बुन्देली फागसाहित्य के रचयिता कवि ईसुरी मेढ़की मऊरानीपुर जैसे पैदा हुए महान साहित्यकार।
यहीं पर गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज' जरबौ झाँसी जैसे साहित्य रचना करते हैं सुसाहित्यकार।
सबसे प्यारा सबसे न्यारा बुन्देल खण्ड क्षेत्र हमारा।।
इस क्षेत्र में घने वृक्षों के शोभायमान वन लगते हैं मनोहर और यही वन मलय पवन चलाते हैं सुखकारी।
सबसे प्यारा सबसे न्यारा बुन्देल खण्ड क्षेत्र हमारा।।
।।जय बुन्देलखण्ड।।
इस प्रकार बुन्देल खण्ड का हर क्षेत्र में विशेष योगदान रहा है फिर भी आज बुन्देलखण्ड पृथक राज्य नहीँ बन पाया है। देश के उत्तराखण्ड, झारखण्ड, तेलंगाना आदि राज्यों का निर्माण कर दिया गया, लेकिन सबसे पुरानी बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण की माँग पर सरकारें आँखें बंद किए हुए हैं। स्वतंत्रता आन्दोलन में बुन्देलखण्ड के वीरों ने सबसे अधिक भागीदारी निभायी। वह ब्रिटिश हुकूमत की आँखों की किरकिरी बने रहे। परिणामस्वरूप ब्रिटिश हुकूमत के दौरान बुन्देलखण्ड का विकास नहीँ हुआ और देश स्वतंत्र होने के पश्चात् सरकारों ने बुन्देलखण्ड की घोर उपेक्षा की।
अनेक वर्षों से बुन्देलखण्ड को प्रान्त बनाने की माँग जोर - जोर से उठायी जा रही है, आज बुन्देलखण्ड क्षेत्र गरीबी, भुखमरी, कुपोषण, बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है। यदि इसे पृथक प्रान्त का दर्जा दे दिया जाए तो इस क्षेत्र में विकास तेजी से प्रारम्भ हो जाए।
बुन्देलखण्ड मुक्ति मोर्चा और बुंदेली वीर मंच बुन्देलखण्ड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने के लिए संकल्पित हैं तथा इसके लिए हर संघर्ष के लिए संगठन के कार्यकर्त्ता तैयार हैं। बुन्देलखण्ड मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और बुंदेली वीर मंच के केन्द्रीय संयोजक इतिहासकार डॉ० चित्रगुप्त श्रीवास्तव जी 14 फरवरी 2016 को झाँसी के कचहरी चौराहे पर गाँधी पार्क में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ रहे हैं और बुन्देलखण्ड राज्य बनाओ आन्दोलन का क्रियान्वयन कर रहे हैं। इसलिए हम भी प्रत्येक बुन्देलखण्डवासी से निवेदन करते हैं कि बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण आन्दोलन में बढ़कर भाग लें। और मेरे निम्न कथनों को ध्यान में रखें -:
बुन्देलखण्ड हमारा है, हमारा था, हमारा रहेगा।
जब तक बुन्देलखण्ड पृथक राज्य नहीँ बनेगा तब तक प्रत्येक बुन्देलखण्डवासी जी - जान से लड़ेगा।।
जब तक बुन्देलखण्ड पृथक राज्य नहीँ बनेगा तब तक प्रत्येक बुन्देलखण्डवासी जी - जान से लड़ेगा।।
बुन्देलखण्ड हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, इसे मैं लेकर रहूँगा।
बुन्देलखण्ड प्रान्त बनायेंगे।
क्षेत्र का विकास करायेंगे।।
बुन्देलखण्ड प्रान्त बनाओ।
देश से बेरोजगारी हटाओ।।
बुन्देलखण्डवासी! हम किसी से कम नहीँ।
हमें मरने का गम नहीँ।।
- गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी'
_ 20 जनवरी 2016 _ 9:34 रात _ बरूआसागर
(02 फरवरी 2016 मंगलवार, दैनिक जनसेवा मेल झाँसी में संपादकीय पृष्ठ 'दखल' में प्रकाशित)
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