Sunday 2 December 2018

कामयाबी और सात्त्विक प्रेम

लेख : " कामयाबी और सात्त्विक प्रेम " 



                        विद्वानों ने ठीक ही कहा है कि हर सफल व्यक्ति के जीवन में स्त्री का हाथ होता है। स्त्री पुरुष के जीवन को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सफल बनाती है। एक प्रेमी स्त्री पर मोहित हो जाता है और उससे बहुत प्यार करने लगता है। प्रेमिका भी उसके प्रेम को स्वीकारती हुई कहती है -


"प्यार न करने की वजह नहीँ होती,

करने की वजह होती है,

तुम्हें प्यार हुआ लेकिन हमें नहीँ हुआ,

जरूरी तो नहीँ है न,

कि दोनों तरफ से हो, जो भी हो।"


                         प्रेमी को भी न जाने ऐसा क्यों लगता है कि प्रेमिका भी उससे प्यार करती है। उसे ऐसा इसलिए लगता है कि प्रेमिका उससे हमेशा मुस्कुराकर बात करती है और अपने भविष्य के बारे में, यहाँ तक शादी के विषय में भी बात करती है। कुछ समय बाद प्रेमिका, प्रेमी से कहती है कि हम तुमसे प्यार नहीँ करते और न ही कभी तुमसे प्यार होगा। इस गलतफहमी में जीना छोड़ दो कि हम भी तुमसे प्यार करते हैं। तब प्रेमी उससे सबाल - जबाव करते हुए कहता है - हमसे प्यार क्यों नहीँ करती? एक - न - एक दिन तुम्हें प्यार जरूर होगा। प्रेमिका चुनौती देते हुए कहती है - प्यार कभी नहीँ होगा। यदि तुम्हें अपने ऊपर इतना ही यकीन है तो कोशिश करके देख लो। प्रेमी को ये बात दिल पर लग जाती है। वह ठान लेता है कि जीवन में प्रेमिका को पाकर ही रहेगा। क्योंकि वह स्त्री की शक्ति को पहचानता है। वह आचार्य चाणक्य की स्त्री के बारे में कही गई इस नीति से बहुत प्रभावित है -:

"पुरुषों से स्त्रियों का आहार दुगुना,

 बुद्धि चार गुनी, साहस छः गुना 

और काम आठ गुना होता है।"

                       

                           इसलिए वह प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से स्त्री का साथ चाहता है। वह प्रेमिका को पाने की भरसक कोशिश करने लगता है। कोशिश करते - करते उसे प्रेमिका तो नहीँ मिलती है। लेकिन उसे हंसराज कॉलेज के सामाजिक कार्यों और राजनीति के क्षेत्र में अभूतपूर्व कामयाबी मिलती है। साथ ही साथ साहित्य और मीडिया में भी उसकी लोकप्रियता दिन - प्रतिदिन बढ़ती जाती है। वह कॉलेज में दिव्यांगों की उत्कृष्ट सेवा हेतु समिति द्वारा 'वेस्ट वालंटियर' का खिताब हासिल करता है। वह कॉलेज में राजनीतिक पार्टी की स्थापना करता है और छात्रों के हितों में हमेशा काम करता रहता है। कभी 'स्टूडेन्ट ऑफ द ईयर अवॉर्ड' की शुरुआत कराता है तो कभी समस्त कोर्सों  के स्टूडेंट्स को घर के लिए लैपटॉप दिलाने की बात करता है। कभी ईसीए और सोसायटीज स्टूडेंट्स एवं स्पोर्ट्स स्टूडेंट्स को अटेंडेन्स दिलाने की बात करता है तो कभी आशिफा को न्याय दिलाने के लिए प्रोटेस्ट करता है। इसकी राजनीतिक - सामाजिक एक्टिविटी की चर्चा कॉलेज प्रिन्सिपल कार्यक्रमों में अपने भाषण में करती है। साहित्य में वह समसामयिक मुद्दों नारीवाद, किसान आदि पर रचनाएँ करता है। वह कविताओं के साथ - साथ  विचारों और नीतियों की भी रचना करता है। जिनकी आलोचना सहपाठीगण, प्रिन्सिपल और मित्र करते हैं। 


                          प्रेमी कहता भी है - "मेरे सफल जीवन में स्त्रियों का हाथ रहा है, पुरुषों से ज्यादा स्त्रियों का साथ रहा है।" वह प्रेमिका से कभी सामाजिक मुद्दों पर बात करता है और कभी राजनीतिक मुद्दों पर। कुछ दिनों बाद प्रेमिका उससे बिल्कुल खफा हो जाती है। जो प्रेमी को समझ नहीँ आता। न जाने समाज के भय से और न जाने अपने अटल निर्णय से वह यह कदम उठाती है। प्रेमी कभी - कभी प्रेमिका पर सोशल मीडिया पर कविताएँ और मुक्तक लिखकर उससे परोक्ष रूप से बात करता है। जिससे वो अपने को परेशान महसूस करने लगती है। प्रेमी उसकी परेशानी से बहुत दुःखी होता है और वह उसे हमेशा खुश रखने को प्रतिबद्ध हो जाता है। 


                           वह प्रेमिका को अपना आदर्श और प्रेरक मानता है। वह हमेशा उससे प्रेरणा लेकर कामयाबी के पथ पर आगे बढ़ता ही चला जाता है। इन प्रेमी - प्रेमिका को 'कुशराज - प्रिन्सेस' के नाम से जाना जाता है। इनका प्यार सात्त्विक प्रेम है। वह अपनी प्रेमिका से हाथ तक नहीँ मिलाता है और न ही उसकी इजाजत के बिना उससे बात करता है। ये दोनों एक - दूसरे का बहुत सम्मान करते हैं। प्रेमिका सामाजिक कार्यों में व्यस्त रहती है और वह भी समाज में स्त्रियों को सम्मान और उनके अधिकार दिलाने के लिए कार्यरत है। प्रेमी उसे किसी भी तरह दुःखी नहीँ देखना चाहता है इसलिए वह भी प्रेमिका से बात करना बंद कर देता है क्योंकि प्रेमिका उससे बात करना पसंद नहीँ करती है। इस बात को प्रेमिका भी मानती है कि तुम हमेशा सकारात्मक रहते हो और जो समाज के लिए कर रहे हो, अच्छा कर रहे हो। वह प्रेमिका को पाने की कोशिश करना कभी नहीँ छोड़ता और जीवन में नई बुलन्दियों को छूता चला जाता है। वह दुनिया के समक्ष 'कामयाबी और सात्त्विक प्रेम' का अनोखा उदाहरण पेश करता है। वह प्रेम के बारे में कहता है कि प्यार का मतलब ये नहीँ कि कोई सामने ही मिले, उसी से करें। प्यार का मतलब होता है कि जिसको पाने के लिए कुछ त्याग करना पड़े, समर्पण करना पड़े, वही प्यार है।


- कुशराज झाँसी


_02/12/2018_09:29 दिन _ जरबौगाँव

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