Thursday 18 January 2024

कहानी (Story) : पुलिस की रिश्वतखोरी (Police Ki Rishwatkhori) - कुशराज झाँसी (Kushraj Jhansi)

 *** कहानी (Kahani) - 

" पुलिस की रिश्वतखोरी " (Police Ki Rishwatkhori) ***


हमारी नौवीं कहानी है 'पुलिस की रिश्वतखोरी'। ये कहानी 6 फरवरी 2023 को हमारे जीवन में पहली बार घटी रिश्वतखोरी की घटना पर आधारित है। उस दिन हम झाँसी से गुरसरांय अपनी बुआ की शादी में जा रहे थे। बकालत की साथी अर्चना मिश्रा को भी साथ में चलना था गरौठा तक लेकिन वो अपने रिश्तेदारों से भेंट करने की बजह से बसस्टैंड थोड़ी देर से आई जबकि हम बसस्टैण्ड पहुँच गए थे तो हम साथी के इंतजार में वहाँ बने सरकारी शेल्टर होम में ठहरना चाहे, ये शेल्टर होम यात्रियों की सेवा में निःशुल्क चलाते जाते हैं। लेकिन जब हम शेल्टर होम में कर्मचारियों से बात करके ठहरने के लिए अंदर गए तो हमारी सुरक्षा में लगा पुलिसवाला बोला कि आप बीच रूपये देंगे हमें और ये बात किसी को बताएँगे भी नहीं, तभी ठहर सकते हैं आप। हमने बोला हमें आधा घंटे ही ठहरना है और हम बकील हैं तो बिना रिश्वत दिए काम नहीं चलेगा क्या ? पुलिसवाला बोला यदि ठहरना चाहते हो तो बीस रुपए देने ही होंगे बरना आपकी मर्जी। हम पुलिसवाले को बीच रुपए देकर ठहर गए। जब हम जैसे बकील से भी पुलिस रिश्वत लेने में तनिक भी नहीं डरती है, तो आम जनता के साथ कैसा सलूक करती है पुलिस ये आप अंदाजा लगा सकते हैं ?  क्या रिश्वतखोर पुलिस पर कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए ? क्या रिश्वतखोर पुलिस को कड़ी से कड़ी सजा आजीवन जेल या फाँसी मिलनी चाहिए ? क्या देश के विकास में पुलिस सबसे बड़ी बाधा है ? )


मामला फरवरी साल २०२३ के उस दिन का है। जब हम झाँसी से अपनी बुआ की शादी में गुरसरांय जा रहे थे।अपनी एलएलबी पांचवें सेमेस्टर की वायवा परीक्षा देने के बाद झटपट अपने घर खुशीपुरा आए। फटाफट बकीली की ड्रेस बदलकर और सिविल ड्रेस पहनकर झाँसी बस स्टैंड पहुँचे। 


दरअसल, संग में गुरसरांय तक बकालत की एक साथी को भी जाना था लेकिन वो अपने रिश्तेदारों से भेंट करने की बजह से थोड़ी लेट हो गई। इसलिए हमने उसका इंतजार करने हेतु, बस स्टैंड पर बने सरकारी शेल्टर होम में बैठना उचित समझा। 


जैसे ही हम शेल्टर होम के प्रवेश द्वार पर पहुँचे तो ऑफिस के कर्मचारी से हमने कहा कि भाईसाब! आधा घंटे तक हमें रुकना है यहाँ शेल्टर होम में क्योंकि उसके बाद मेरी बस है। तो कर्मचारी ने कहा - ठीक है! भैया आप रुक सकते हैं। और फिर एक पुलिसवाले के साथ हमें शेल्टर होम में अंदर भेज दिया। 


जिसकी ड्यूटी इस शेल्टर होम के मुसाफिरों की सुरक्षा में लगी थी। जैसे ही हम उसके साथ अंदर आए तो वो पुलिसवाला हमसे सवाल - जवाब करने लगा। कितने टैम तक रुकोगो यहाँ ? कहाँ से आए हो ? 


तब हमने कहा भाईसाब! आधा घंटे रूकेंगे हम और यहीं अपने बगल वाले खुशीपुरा से आए हैं हम। फिर पुलिसवाले ने कहा कि अच्छा! ठीक है। आप यहाँ रुक सकते हो लेकिन आपको बीस रुपए देने होंगे? बाकी आपकी मर्जी यदि नहीं रुकना चाहते तो।


चूँकि ये शेल्टर होम सरकार द्वारा मुसाफिरों, यात्रियों की सुविधा के लिए फ्री चलाए जा रहे हैं। लेकिन सरकार की पुलिस ही फ्री सेवा में चलाए जा रहे इन शेक्टर होम में रिश्वत ले रही है। पुलिस की रिश्वतखोरी की हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। जब जनता की रक्षक कहलाने वाली पुलिस ही, जतना की भक्षक बनी फिर रही हो तो इस देश का विकास कैसे हो सकता है ? आप ही बताईये।


हमने सोचविचार कर पुलिसवाले को बीस रुपए दिए तो फिर उसने हमें हिदायत देते हुए कहा - ये बीस रूपए के लेनदेन वाली बात बाहर किसी को मत बताना तो हमने कहा - ठीक है! भाईसाब। हम भी बकील हैं। हम समझते हैं आप लोगों को। बीस रुपए की रिश्वत लेकर वो पुलिसवाला बाहर चला गया और हम आराम करने की बजाए देश के समसामयिक हालातों पर सोच - विचार करने लगे और कहानी लिखने बैठ गए। कानून कहता है कि रिश्वत लेना और देना दोनों दण्डनीय अपराध हैं। 


ठीक है हम इस बात से पूरी तरह सहमत हैं लेकिन जब आपकी मजबूरी में आपसे रिश्वत ली जा रही हो और उसके सिवा कोई चारा न हो तो रिश्वतलेने वाला ही दोषी है क्योंकि यदि रिश्वत नहीं माँगी होती तो हम देते ही क्यों ?


जब हमने उस पुलिसवाले को बताया कि हम भी बकीली करते तो यदि उसे अपनी ड्यूटी के प्रति ईमानदारी और निष्ठा होती और इसके साथ कानून का डर होता तो वो पुलिसवाला हमारे बीस रुपए वापिस लौटा देता। 


लेकिन उस पुलिसवाले को अपनी ड्यूटी रिश्वत लेना ही ठीक लगा; सब कानूनी, नैतिक और व्यवहारिक बातों के जानते हुए भी कि रिश्वत लेना अपराध है। रिश्वत लेना पाप है। तो ऐसे रिश्वतखोर पुलिसवाले को दण्ड जरूर मिलना चाहिए। आज नहीं तो कल पुलिस की रिश्वतखोरी पर लगाम लगाने के लिए रिश्वतखोर पुलिसवालों को सजा देनी ही होगी। नहीं तो हो गया देश का उद्धार…..।


_06/02/2023 _ 02:14 दिन _

बसस्टैंड झाँसी


( 'घर से फरार जिंदगियाँ' कहानी-संग्रह से...)


©️ कुशराज झाँसी

(प्रवर्त्तक - बदलाओकारी विचारधारा, बुंदेलखंडी युवा लेखक, सामाजिक कार्यकर्त्ता)


" 'पुलिस की रिश्वतखोरी' आम बात है। पुलिस और रिश्वत दोनों का चोली दामन का साथ है। आश्रय गृह / शेलेटर होम्स में रुकने के लिए चुपचाप हर  व्यक्ति से ₹20 वसूलने वाली घटना लेखक के जीवन की भुक्तभोगी घटना लगती है। जिसको लेखक ने बड़ी बेबाकी से स्वीकार करते हुए लिखा है कि रिश्वत देना और लेना दोनों ही अपराध हैं, लेकिन मजबूरियाँ आपको क्या - क्या नहीं करवा देती हैं। "

डॉ० रामशंकर भारती 'गुरूजी' (साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी)

२७/११/२०२३, झाँसी


" समीक्ष्य संग्रह की नवीं कहानी 'पुलिस की रिश्वतखोरी' लेखक की आपबीती घटना प्रतीत होती है और पुलिस की रिश्वतखोरी की प्रवृत्ति पर तंज कसती है, किन्तु कथा सूत्रों की शिथिलता इसे कहानी के स्थान पर आत्म कथ्य तक सीमित कर देती है। "

- प्रो० पुनीत बिसारिया

(आचार्य एवं पूर्व अध्यक्ष - हिन्दी विभाग, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी)

20/12/2023, झाँसी



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