Skip to main content

Posts

Featured

डॉ० मधु ढिल्लों की किसान विमर्श की कविता पर किसानवादी युवा आलोचक गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज' की टिप्पणी

डॉ० मधु ढिल्लों की किसान विमर्श की कविता पर किसानवादी युवा आलोचक गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज' की टिप्पणी - "डॉ० मधु ढिल्लों ने 'किसान भाईयों! जागो फिर एक बार' कविता में 21वीं सदी के भारतीय किसानों की दशा और दिशा का बखूबी चित्रण किया है। तमाम गुटों और हजारों जातियों में बटें किसान वर्ग से एकजुट होने की अपील की है और अपनी फसलों के दाम तय कराने हेतु यानी सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू कराने हेतु किसान आंदोलन में शामिल होने की अपील की है और ये चेतावनी दी है कि यदि किसान अभी नहीं जागे तो फिर उनकी आने वाली पीढ़ियां किसानी धर्म से विमुख हो जायेगीं। डॉ० मधु ढिल्लों को किसान चेतना की कविता के प्रणयन हेतु भौत-भौत बधाई।" ३० जनवरी २०२५, झाँसी (अखंड बुंदेलखंड) कविता : किसान भाईयों! जागो फिर एक बार  अलग अलग गुटों में बंटा है  आज देश का किसान  देश के किसान भाईयों  जरा सोचो एक बार आप सबसे पहले हो आप किसान  बाद में हो आप सैनी, अहीर, जाट, गुज्जर, नाई, तेली और ब्राह्मण। अपनी फसलों के दाम के लिए  तो इक्ट्ठे हो जाओ नहीं तो वो दिन दूर नहीं है  जब अपनी आँखों के सामने आप...

Latest posts

अभिनय उत्सव 2025 में सम्मानित हुए संस्कृतिकर्मी

केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान झाँसी में हुआ डॉ० सुनीता वर्मा की कृति 'आयुर्वेद मर्मज्ञ गोस्वामी तुलसीदास' का विमोचन

बुड़की (Budki) - कुसराज (Kushraj)

समाज की असलियत दिखाकर समाज में बदलाओ चाहती हैं हमारीं बदलाओकारी कहानियाँ - कुशराज झाँसी

आस्ट्रेलिया की प्रवासी साहित्यकार शन्नो अग्रवाल की किसान विमर्श की रचना 'किसान (दोहे)' पर युवा आलोचक, किसानवादी विचारक कुशराज झाँसी की टिप्पणी

आस्ट्रेलिया की वरिष्ठ प्रवासी साहित्यकार आदरणीया 'शन्नो अग्रवाल जी' द्वारा किसान विमर्श की हमारी कहानी 'रीना' पर टिप्पणी - कुशराज झाँसी

आस्ट्रेलिया की वरिष्ठ प्रवासी साहित्यकार आदरणीया 'शन्नो अग्रवाल जी' द्वारा किसान विमर्श की हमारी कहानी 'अंतिम संस्कार' पर टिप्पणी - कुशराज झाँसी

किसान डॉ० विजयप्रकाश सैनी के कविता-संग्रह 'मैं कहता आँखन देखी' का विमोचन और बाबू श्यामलाल सैनी स्मृति साहित्य गौरव सम्मान समारोह झाँसी में संपन्न