Monday, 10 March 2025

सत्य सनातन संस्कृति मंच ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर किया महिला विभूतियों का सम्मान

सत्य सनातन संस्कृति मंच ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर किया महिला विभूतियों का सम्मान

झाँसी : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर झाँसी के सुप्रसिद्ध धर्मार्थ न्यास सत्य सनातन संस्कृति मंच ने महिला विभूतियों को सम्मानित करने की अपनी नई पहल शुरू की। इस वर्ष झाँसी निवासी बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में हिन्दी की सहायक आचार्या डॉ० सुनीता वर्मा को विशिष्ट अकादमिक और साहित्यिक सेवाओं हेतु साहित्य भूषण सम्मान एवं वरिष्ठ कवयित्री  रमा शुक्ला 'सखी' को विशिष्ट साहित्यिक सेवाओं हेतु साहित्य भूषण सम्मान से मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्यामशरण नायक 'सत्य' और राष्ट्रीय महासचिव डॉ० रामशंकर भारती ने उनके आवास पर जाकर सम्मानित किया। श्यामशरण नायक 'सत्य' ने कहा, डॉ० सुनीता वर्मा और रमा शुक्ला जैसी आधुनिक नारियाँ सनातनी मूल्यों के प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका निभा रही हैं, इनकी संतानें श्रवण सपूत हैं, संस्कारी हैं, सत्संगी हैं। डॉ० रामशंकर भारती ने कहा, वैदिक काल से ही भारतीय ज्ञान परंपरा में नारियों की अहम भूमिका रही है। मैत्रेयी, अपाला, लोपामुद्रा जैसी विदुषियों का सनातनी साहित्य में अप्रतिम योगदान है। डॉ० सुनीता वर्मा और रमा शुक्ला वर्तमान युग की मैत्रेयी, अपाला हैं, वे बुंदेलखंडी ज्ञान परंपरा में उल्लेखनीय भूमिका निभा रही हैं। मंच के प्रांतीय मीडिया प्रभारी किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज' ने कार्यक्रम का संचालन किया।

Saturday, 8 March 2025

जगताई जनीं दिनाँ की भौत-भौत बधाई - किसान गिरजासंकर कुसबाहा 'कुसराज'

जगताई जनीं दिनाँ की भौत-भौत बधाई

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बहुत-बहुत बधाई

Happy International Women's Day

💐🌾♀️❤️🙏


भौत हुआ हम औरतों पर अत्याचार,

कभी दहेज हत्या तो कभी बलात्कार।

कायकि जबतक हम औरतें चुप थीं गाय की तरा,

तो दरिंदे हम औरतों का रेप करते रहे हैवान की तरा।


लेकिन जबसे हम इक्कीसवीं सदी की औरतें शेरनी बन गईं झाँसी की रानी की तरा।

तो दरिंदे काँपने लगे फिरंगियों की तरा।

कायकि हम औरतें अब खुद की रक्षा के लानें

सीधी गोली चलाती हैं।

दरिंदों को मार गिरातीं हैं।


हाँ! जनाब।

सही सुना - हम औरतें दरिन्दों को मार गिराती हैं।

झाँसी की रानी कहती थीं - भाग फिरंगी भाग...

हम कहते हैं - मर दरिंदे मर...

कायकि अब खुद की रक्षा में धाएँ - धाएँ गोली चलेला...।।

©️ किसान गिरजासंकर कुसबाहा 'कुसराज'

(बदलाओकारी बिचारक, युबा लिखनारौ)

८/३/२०२५, झाँसी, अखंड बुंदेलखंड




Wednesday, 5 March 2025

डा० संकरलाल सुक्ल इसमिरती अखंड भारतीय बुंदेली समारोय २०२५

डा० संकरलाल सुक्ल इसमिरती अखंड भारतीय बुंदेली समारोय २०२५ 


बुंदेली कबी, साहित्यकार उर सिक्छाबिद् पूज्जनीय डा० संकरलाल सुक्ल जू की इसमिरती में भांडेर जिला दतिया (अखंड बुंदेलखंड) में डा० संकरलाल सुक्ल जू के सपूत बुंदेलीसेबी डा० रबिंद सुक्ल 'सत्यार्थी' उर बिनकी बऊ डा० सरोज सुक्ला हर बरस १-२ मार्च खों दो दिनाँई डा० संकरलाल सुक्ल इसमिरती अखंड भारतीय बुंदेली समारोय करतई। यी बरस 'डा० संकरलाल सुक्ल इसमिरती अखंड भारतीय बुंदेली समारोय २०२५' में हम भी सामिल भए। मुख्ख पावने झाँसीबासी उत्तर पिरदेस सिरकार के राज्जमंतरी उर बुंदेलखंडी पंडित माननीय हरगोबिंद कुसबाहा जू रए, बुंदेली लोकसंसकिरती उर इतिहास पे बिनके भाँसड़ सें समारोय चार चाँद लग गए। पावने बक्ता झाँसीबासी सुपिरसिद्द साहित्यकार उर बुंदेलखंडी पंडित पूज्जनीय डा० रामसंकर भारती जू नें नौंने भाँसड़ सें डा० संकरलाल सुक्ल कौ रचनासंसार उर जीबन दरसन उजागर करकें जनमानस खों पिरेरित करौ। ई औसर पे ग्यारा बुंदेली बिभूतियंन खों सम्मानित करौ गओ उर भौतई उम्दा बुंदेली कबी सम्मेलन भी भओ। ई औसर पे बुंदेलखंडी पंडिताईन डा० कामिनी (सेंवढ़ा), बुंदेलीसेबी डा० बिरिजलता मिसरा (झाँसी), सत्त सनातन संसकिरती मंच के रास्ट्रीय अध्यक्छ स्यामसरन नायक 'सत्त' (झाँसी), बुंदेली बौछार के संपादक सचिन चौधरी (भोपाल), सिक्छाबिद् हेमंत सिंघ चौहान (भोपाल), इतिहासबिद् रामपिरकास गुप्ता (चिरगॉंव), आफीसर सिंघ गूजर (सीईओ दतिया), निहारिका (जनसंपरक संचालक दतिया), संगीतबिद् बिनोद मिसरा सुरमनी (दतिया), बुंदेली कबी राज गोस्वामी (दतिया) जैसे केऊ बुंदेलीप्रेमी सामिल रए।

©️ किसान गिरजासंकर कुसबाहा 'कुसराज'

   (बुंदेली-बुंदेलखंड अधकार कारीकरता)

    झाँसी, अखंड बुंदेलखंड


#बुंदेली #समारोय 

#बुन्देली #समारोह

#Bundeli #Ceremony 

#बुंदेलीबुंदेलखंडआंदोलन 

#बुन्देलीबुन्देलखण्डआन्दोलन

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#मानकबुंदेली 

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#बुंदेलीभासा

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#अखंडबुंदेलखंड

#अखण्डबुन्देलखण्ड

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Wednesday, 19 February 2025

बुन्देलखण्ड का सांस्कृतिक कुम्भ : बुन्देली उत्सव - किसान गिरजाशंकर कुशवाहा ‘कुशराज’

#बुंदेलीबुंदेलखंडआंदोलन

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#जैजैबुंदेली #JaiJaiBundeli

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बुन्देलखण्ड का सांस्कृतिक कुम्भ : बुन्देली उत्सव


चित्र : बुंदेली उत्सव 2025 के उद्घाटन समारोह में बुंदेली बसंत पत्रिका का विमोचन करते अतिथि और आयोजक

बुंदेलखंड के पर्यटकगाँव बसारी जिला छतरपुर में चल रहे बुन्देलखण्ड के सांस्कृतिक कुम्भ ‘बुन्देली उत्सव’ का दृश्य अद्भुत है। सन 1996 से निरंतर माननीय शंकरप्रताप सिंह बुंदेला ‘मुन्ना राजा’ के संरक्षण में बुंदेली विकास संस्थान, छतरपुर द्वारा राव बहादुर सिंह स्टेडियम बसारी में बुन्देली उत्सव का आयोजन प्रतिवर्ष किया जा रहा है। बुंदेली उत्सव ने बुंदेली भाषा, साहित्य, लोक, संस्कृति और कला के संरक्षण और संवर्द्धन में युगांतकारी भूमिका निभायी है। सन 1999 से निरंतर बुंदेली विकास संस्थान द्वारा बुन्देली साहित्य, संस्कृति एवं इतिहास को समर्पित पत्रिका ‘बुंदेली बसंत’ का डॉ० बहादुर सिंह परमार के संपादन और डॉ० हरिसिंह घोष के सहसंपादन में प्रकाशन किया जा रहा है। ‘बुंदेली बसंत’ पत्रिका ने बुंदेली भाषा, साहित्य, संस्कृति, इतिहास और बुंदेलखंड के समसामयिक मुद्दों को वैश्विक पटल पर रखने में ऐतिहासिक भूमिका निभायी है। डॉ० हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, सागर की बुंदेली पीठ द्वारा डॉ० कांतिकुमार जैन के संपादन में प्रकाशित पत्रिका ‘ईसुरी’ के बाद ‘बुंदेली बसंत’ बुन्देली भाषा, साहित्य, संस्कृति, इतिहास एवं बुंदेलखंडी ज्ञान परंपरा की दूसरी प्रतिष्ठित पत्रिका है।

    
चित्र : बुंदेली उत्सव 2025 में पारंपरिक प्रस्तुति देते बाल कलाकार

हमें बुंदेलखंड के सांस्कृतिक कुम्भ ‘बुंदेली उत्सव’ में सम्मिलित होने का सौभाग्य बुंदेली बसंत पत्रिका के यशस्वी संपादक, बुंदेली उत्सव आयोजन समिति के संस्थापक सदस्य, बुंदेली साहित्य और बुंदेलखंड के मूर्धन्य विद्वान, बुंदेली आलोचक, महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, छतरपुर में हिन्दी अध्ययनशाला एवं शोध केंद्र के आचार्य डॉ० बहादुर सिंह परमार के निमंत्रण पर मिला। 


चित्र : बुंदेली उत्सव 2025 का आमंत्रण पत्र 

इस वर्ष 6 दिवसीय बुन्देली उत्सव का आयोजन 15 फरवरी से 20 फरवरी 2025 के बीच हो रहा है। बुन्देली उत्सव का निमंत्रण बुंदेली में ही होता है। 26वें बुन्देली उत्सव 2025 का निमंत्रण इस प्रकार था - 

२६ वाँ बुन्देली उत्सव २०२५

श्रीमान् जू

अपुन सब जनन खाँ राम-राम पौंचे।

अपुन खों जौ बताउत भये हमें खुसी हो रई, कै आपके सहयोग सें छब्बीसवें बुन्देली उत्सव ई साल भी तीन साल कै बाद १५ फरवरी शनिवार सें २० फरवरी गुरूवार लौं हुईऐ। ई में बुन्देलखण्ड अंचल के लोक संसकिरती के गाना-बजाना के संगै नांच भी हुईऐ। घुरवन को नांच के संगै निसानेबाजी, दंगल भी हुईये। बुन्देली रसोई के पकवानन कौ स्वाद भी चींखवे मिलहै। चौपड़, गिल्ली डंडा, खो-खो, रस्साकशी जैसे खेलकूद कौ आनंद अपुन उठाहौ। ई के संगे बुन्देली सिनेमा में अपुन अपनौ घर-द्वार और उनकी समस्याएँ देखहौ। अपुन सब जनन सें हाथ जोर कें बिनती है, कै मय परबार, नाते रिश्तेदारन, दोस्त-यारन के संगे पधारौ।

       अपुन की स्वागत करके हमें नौनौं लगे।

             कार्यक्रम स्थल - 

       राव बहादुर सिंह स्टेडियम

पर्यटक ग्राम - बसारी, छतरपुर (बुन्देलखण्ड) म०प्र०

छतरपुर से पन्ना राष्ट्रीय राजमार्ग 39 में 17वें किलोमीटर पर स्थित है।

                बिन्तवार

बुन्देली विकास संस्थान, छतरपुर (म.प्र.)

चित्र : बुंदेली उत्सव 2025 का आमंत्रण पत्र

26वें बुन्देली उत्सव 2025 में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों का विवरण इस प्रकार है - 

15 फरवरी, शनिवार - दोपहर 12 बजे

उद्घाटन - रंगोली, लोक चित्रकारी, बुन्देली आधारित बच्चों की प्रस्तुति, विराट दंगल, कबड्डी, चौपड़, गिल्लीडंडा, बुन्देली सिनेमा का प्रदर्शन।

16 फरवरी, रविवार 

प्रातः 08 बजे - कबड्‌डी, खो-खो, चौपड़, गिल्लीडंडा

दोपहर 03 बजे - बुन्देली सिनेमा का प्रदर्शन

17 फरवरी, सोमवार

प्रातः 08 बजे - कबड्डी, खो-खो फाइनल

दोपहर 03 बजे - रस्साकशी (रस्साखींच) प्रतियोगिता

18 फरवरी, मंगलवार

दोपहर 01 बजे - बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिता

सायं 7:30 बजे - बधाई, कछियाई, दिवारी, बुन्देली पोशाक, अहिरवारी बैठक, बुन्देली कीर्तन, कहरवा गारी, बनरे, लमटेरा, सैरा, ख्याल, दादरा

19 फरवरी, बुधवार

दोपहर 01 बजे - अश्व नृत्य प्रतियोगिता

दोपहर 02 बजे - बुन्देली व्यंजन प्रतियोगिता

सायं 7:30 बजे - दलदल घोड़ी, बहुरूपिया, गोटे, कार्तिक गीत, आल्हा, बिलवारी, काडरा, रावला, सोहरे, ढिमरयाई

20 फरवरी, गुरूवार

दौपहर 01 बजे - निशानेबाजी प्रतियोगिता 

सायं 07:30 बजे - विशेष प्रस्तुति फाग व राई 

समापन            

चित्र : बुंदेली उत्सव 2025 में सम्मानित होने वाली विभूतियों की सूची

बुन्देली उत्सव में बुंदेलखंडी ज्ञान परंपरा और लोक साहित्य पर उल्लेखनीय कार्य करने वालों को प्रतिवर्ष विभिन्न सम्मानों से सम्मानित किया जाता है। छब्बीसवें बुन्देली उत्सव २०२५ में सम्मानित विभूतियाँ इस प्रकार हैं - 

1. श्री देवदत्त द्विवेदी सरस - राव बहादुर सिंह बुन्देली सम्मान 2025, बुन्देली लोक साहित्य सर्जना हेतु।

2. श्री गुप्तेश्वर द्वारका गुप्त - राव बहादुर सिंह बुन्देला सम्मान 2025, बुन्देली साहित्य समीक्षा हेतु।

3. श्रीमती ऊषा सक्सेना - राव बहादुर सिंह बुन्देला सम्मान 2025, बुंदेली साहित्य एवं संस्कृति के प्रोत्साहन हेतु।

4. श्री देवेंद्र कुमार सिंह - दीवान प्रतिपाल सिंह बुन्देला सम्मान 2025, बुन्देलखण्ड के इतिहास हेतु।

5. श्री विजय बहादुर श्रीवास्तव - डॉ० नर्मदा प्रसाद गुप्त स्मृति सम्मान 2025, बुंदेली कला में उल्लेखनीय कार्य हेतु।

6. डॉ० राम बहादुर मिसिर बाराबंकी - स्व० श्री हरगोविन्द हेमल स्मृति सम्मान 2025, अवधी लोक साहित्य के योगदान में उत्कृष्ट कार्य हेतु।


चित्र : युवा आलोचक कुशराज को बुंदेली बसंत 2025 और बुंदेली कविता परंपरा पुस्तक भेंट करते हुए आचार्य बहादुर सिंह परमार

आज 16 फरवरी 2025, रविवार को सुबह झाँसी से छतरपुर पहुँचकर हम सबसे पहले न्यू हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी पन्ना रोड पर आचार्य परमार जी के निवास पहुँचे। परमार जी से बुंदेली भाषा-साहित्य और बुंदेलखंड की शिक्षा, संस्कृति, इतिहास और विकास पर गहन चर्चा हुई। परमार जी ने अपनी पुस्तक 'बुंदेली कविता परंपरा' और 'बुंदेली बसंत' पत्रिका का नया अंक समीक्षा हेतु हमें भेंट किए। इसके साथ ही बुंदेली बसंत 2025 में प्रकाशित झाँसी के साहित्यकारों की लेखकीय प्रतियाँ भी सौपीं। फिर हम बुंदेली उत्सव बसारी पहुँचे।


चित्र : बुंदेली उत्सव 2025 में आयोजित खेल प्रतियोगिताएँ

आज 26वें बुंदेली उत्सव 2025 का दूसरा दिन था। 

बुंदेली उत्सव के आयोजन स्थल राव बहादुर सिंह स्टेडियम में पहुँचकर बुंदेली में होर्डिंग देखकर बहुत खुशी हुई। होर्डिंग इस तरह थीं - 

(१.) मा० डॉ० श्री मोहन यादव जी 

      मुख्यमंत्री म० प्र० शासन 

      26वाँ बुन्देली उत्सव 2025

      में अपुन को भौतई स्वागत है

सिद्धार्थशंकर बुंदेला

पूर्व जनपद अध्यक्ष राजनगर

(२.) बुन्देली उत्सव

      ग्राम बसारी

ऐसई स्नेह बनाए रईयो जू 

विशाल, वीरन…।

(३.) भले पधारे जू, इ बुन्देली उत्सव में अपुन सबई पावनन कौ स्वागत करत हैं जू - विनोद, सौरभ…।

राव बहादुर सिंह स्टेडियम के मुख्य द्वार पर लिखा था - 26 बाँ बुन्देली उत्सव में स्वागत है जू। 

राव बहादुर सिंह स्टेडियम के मुख्य द्वार के पीछे लिखा था - फिरकें अवाई होय जू

राव बहादुर सिंह स्टेडियम में बाहर-भीतर दीवारों पर बुंदेली कला को उकेरा गया था। बुन्देली संस्कृति के दृश्यों को दिखाया गया था। साथ ही दीवारों पर जगह-जगह बुंदेली भाषा में लिखा गया था - आज दिन सौनो सौ महाराज। खेल खेल की भावना सें खेलिओ जू। बुन्देली उत्सव में इस बार भी मेला लगा था। मेले में घर-गृहस्थी, साज-सिंगार, बच्चों के खिलौने, झूले, चाट-समोसे और मिठाई की दुकानें सजी थीं। आज की खेल प्रतियोगिताओं का शुभारंभ बुंदेली विकास संस्थान के अध्यक्ष आदित्यशंकर बुंदेला, देवेंद्रप्रताप सिंह ‘दिल्लू राजा’, भारत कृष्णदेव सिंह और नेहरू युवा केंद्र छतरपुर के निदेशक अरविंद सिंह यादव ने किया। आज की खेल प्रतियोगिताओं में चौपड़, कबड्डी और खो-खो के रोमांचक मुकाबले हुए। प्रतियोगिताओं का आनंद उठाने हेतु बुंदेली विकास संस्थान के संरक्षक, पूर्व विधायक माननीय शंकरप्रताप सिंह बुंदेला ‘मुन्ना राजा’ भी स्टेडियम पधारे। टपरा टॉकीज में बुंदेली सिनेमा का प्रदर्शन भी हुआ। 


चित्र : बुंदेली उत्सव 2025 में बुंदेली अभिनेता हरिया भैया और बुंदेली-बुंदेलखंड अधिकार कार्यकर्त्ता कुशराज

स्टेडियम में बहुमुखी प्रतिभा के धनी, यूट्यूब पर 100 मिलियन व्यू के आंकड़े को पार करने वाले, आजकल वैश्विक स्तर पर तीसरे नम्बर पर ट्रेनिंग में चल रहे यूट्यूब वीडियो बुंदेली गाना - तुनक तुनक, सुन भौजी की बैन की अभिनेत्री अंजली कुशवाहा पर वायरल बिटिया पावनी बिन्ना नामक बायोपिक फिल्म के निर्माता, बुंदेली के चर्चित अभिनेता, पटकथा लेखक, निर्माता एवं निर्देशक हिमालय यादव ‘हरिया भैया से हमें बुंदेली सिनेमा और सोशल मीडिया का बुंदेली के विकास में योगदान पर चर्चा करके बहुत अच्छा लगा। यदि सरकार बुन्देली उत्सव से प्रेरित होकर बुंदेलखंड के हर जिले, नगर, कस्बा और गांव में सांस्कृतिक कुंभ आयोजित करेगी तो बुंदेली और बुंदेलखंड विकसित भारत - विश्वगुरू भारत के निर्माण में उल्लेखनीय भूमिका निभा सकेगा।

      ।। जै जै बुंदेली ।।

    ।। जै जै बुंदेलखंड ।।


चित्र : बुंदेली उत्सव 2025 में आयोजित मेला 

©️ किसान गिरजाशंकर कुशवाहा ‘कुशराज’

(बुंदेली-बुंदेलखंड अधिकार कार्यकर्ता)

16/02/2025 _ 10:45रात

झाँसी, अखंड बुंदेलखंड

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Friday, 14 February 2025

झाँसी में बुंदेली को समर्पित संस्थानों की दशा और दिशा - किसान गिरजाशंकर कुशवाहा कुशराज (Jhansi men Bundeli ko Samarpit Sansthanon ki Dasha Aur Disha - Kisan Girjashankar Kushwaha Kushraj)

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झाँसी में बुंदेली को समर्पित संस्थानों की दशा और दिशा

चित्र : पंडित डॉ० विश्वनाथ शर्मा बुंदेलखंड हेरिटेज इंस्टीट्यूट झाँसी का शिलान्यास 

अपनी माटी, अपना देश, अपनी भाषा और अपनी संस्कृति सबको प्रिय होती है और हो भी क्यों न। जिस माटी में हम जनम लेते हैं, जिस माटी का हम अन्न-जल ग्रहण करते हैं, जिस माटी की प्रकृति से हम प्राणवायु लेते हैं। उस माटी की आन-बान-शान की रक्षा करना हमारा पहला धर्म है। हमें अपनी माटी के कण-कण से लगाव होना ही चाहिए। अपनी माटी में उपजी भाषा और संस्कृति की अस्मिता बनाए रखनी चाहिए। हमें अपनी भाषा और संस्कृति को कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि भाषा और संस्कृति ही हमारी दुनिया के सामने अनोखी पहचान बनाती है। हमारी माटी बुंदेलभूमि है, जिसे बुंदेलखंड़ नाम से दुनिया में पहचाना जाता है। हम इसे अखंड बुंदेलखंड़ मानते हैं। हमारी भाषा बुंदेली है। बुंदेली को बुंदेलखंडी नाम से भी जाना जाता है। बारहवीं सदी में महाकवि जगनिक द्वारा रचित आल्हाचरित से बुंदेली साहित्य की शुरूआत हुई थी। वर्तमान में बुंदेलीभाषियों की जनसंख्या लगभग बारह करोड़ है। बुंदेली की लगभग पच्चीस बोलियाँ जैसे बनाफरी, खटोला, कछियाई, ढिमरयाई, लुधियाई, बमनऊ इत्यादि प्रचलन में हैं। हमारी संस्कृति बुंदेली संस्कृति है, जो किसानी संस्कृति है। हमें अपनी बुंदेली माटी, बुंदेली भाषा, बुंदेलखंड राज्य और बुंदेली संस्कृति प्राणों से भी ज्यादा प्रिय है। हम अपनी बुंदेली माटी, बुंदेली भाषा और बुंदेली संस्कृति की रक्षा करना अपना धर्म मानते हैं। जब तक हमारी माटी, हमारी भाषा और हमारी संस्कृति की कीर्ति का परचम दुनिया में लहराता है, तभी तक हमारी कीर्ति की चर्चा होती है इसलिए हमें अपनी भाषा और अपनी संस्कृति का प्रचार-प्रसार हर क्षण करते रहना चाहिए।

अखंड बुंदेलखंड की राजनैतिक और सांस्कृतिक राजधानी झाँसी का बुंदेलखंड विश्वविद्यालय और बुंदेलखंड कॉलेज बुंदेली को समर्पित संस्थानों में शुमार है। आगामी समय में जल्द ही बुंदेलखंड कल्चरल एंड टूरिस्ट इन्फॉर्मेशन सेंटर एवं पंडित डॉ० विश्वनाथ शर्मा बुंदेलखंड हेरिटेज इंस्टीट्यूट संचालित होने जा रहे हैं। इसके साथ ही यहाँ उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा केशवदास बुंदेली अकादमी की स्थापना भी प्रस्तावित है। झाँसी कलम, कला, किसान और कृपाण की भूमि है। झाँसी जिले की बुंदेली भाषा मानक बुंदेली है। 21वीं सदी बुंदेली भाषा के लिए वरदान साबित हो रही है। आज के दौर में झाँसी देहात और झाँसी महानगर में बोलचाल बुंदेली में ही हो रहा है। इसके साथ ही बुंदेली भाषा का प्रयोग साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, पत्रकारिता, सिनेमा, सोशल मीडिया आदि ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्रों भी किया जा रहा है। झाँसी के डॉ० रामनारायण शर्मा, हरगोविंद कुशवाहा, राजा बुंदेला, डॉ० रामशंकर भारती, पन्नालाल असर, नीति शास्त्री, ब्रजलता मिश्रा, आरिफ शहड़ोली, डॉ० वंदना कुशवाहा, रामप्रकाश गुप्ता, डॉ० अजयसिंह कुशवाहा, बेबी इमरान, गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज', अमित कुमार अहिरवार, आशुतोष नायक, अर्चना कोटार्य जैसे अनेकानेक बुंदेलीसेवी बुंदेली भाषा-साहित्य और संस्कृति के उन्नयन के लिए तन-मन-धन से समर्पित होकर कार्य कर रहे हैं। 

बुंदेली सेवाओं हेतु डॉ० रामनारायण शर्मा को साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा साहित्य अकादमी भाषा सम्मान, डॉ० रामशंकर भारती को हिंदुस्तानी एकेडमी प्रयागराज उत्तर प्रदेश द्वारा एकेडमी सम्मान, पन्नालाल असर को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ द्वारा लोकभूषण सम्मान, प्रतापनारायण दुबे को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ द्वारा मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार और गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज' को अवध भारती संस्थान लखनऊ, बुंदेलखंड साहित्य उन्नयन समिति झाँसी एवं राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त महाविद्यालय चिरगांव झाँसी द्वारा अवध ज्योति बुंदेली सृजन शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया है और आरिफ शहड़ोली की बॉलीवुड फिल्म गुठली हेतु कोलकाता अंर्तराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल द्वारा बुंदेली भाषा खंड के अंतर्गत सर्वोच्च निर्देशक का सम्मान मिला है।

प्रसन्नता की बात है कि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में स्नातक एवं परास्नातक में बुंदेली भाषा और साहित्य का अध्ययन-अध्यापन किया जा रहा है। स्नातक हिन्दी एवं परास्नातक हिन्दी के बुंदेली पाठ्यक्रम में बुंदेली काव्य ही सम्मिलित है, जबकि बुंदेली गद्य में भी प्रचुर साहित्य उपलब्ध है। यदि बुंदेली गद्य भी सम्मिलित होता तो बुंदेली भाषा और साहित्य के अध्ययन-अध्यापन में और सहूलियत होती। दुःख की बात ये है कि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय परिसर और महाविद्यालयों में बुंदेली पाठ्यक्रम पढ़ाने हेतु शिक्षक-शिक्षकाएँ नियुक्त नहीं हैं। बुंदेली काव्य को गैर बुंदेलीभाषी जैसे हिन्दी, भोजपुरी, अवधी, ब्रज, मालवी वाले शिक्षक-शिक्षिकाएँ पढ़ा रहे हैं। यदि सरकार अतिशीघ्र बुंदेली के असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के पदों पर अखंड बुंदेलखंड के बुंदेलीभाषी सुयोग्य व्यक्तियों की नियुक्ति कर दे तो बुंदेलखंड की शिक्षा व्यवस्था में ऐतिहासिक परिवर्तन आ जाएगा और मोदी सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का सार्थक क्रियान्वयन हो सकेगा।


चित्र : बुंदेलखंड विश्वविद्यालय परिसर, झाँसी

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय परिसर में हिन्दी विभाग के अंतर्गत बुंदेली वीथिका, वृदांवनलाल पांडुलिपि दीर्घा एवं बुंदेली विरासत दीर्घा आदि उपक्रम संचालित हैं लेकिन इन उपक्रमों के निदेशक जैसे पदों पर भोजपुरी, अवधीभाषी आसीन हैं। यदि इन उपक्रमों का संचालन और प्रबंधन बुंदेलीभाषियों के द्वारा होगा तो ये उपक्रम अपने एकमात्र उद्देश्य - बुंदेली का प्रचार-प्रसार और संरक्षण को अर्जित करने में सार्थक हो सकेंगे। पिछले सत्र से हिन्दी विभाग के अंतर्गत इतिहास, भूगोल, राजनीति और संस्कृत के स्नातक ऑनर्स कोर्स संचालित किए जा रहे हैं यदि अगले सत्र से बीए ऑनर्स बुंदेली और एमए बुंदेली कोर्स संचालित होने लगेंगे तो ये हिन्दी विभाग हेतु ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा अपनी स्थापना के शुरुआती दौर में बुंदेली-बुंदेलखंड को समर्पित बेतवावाणी नामक पत्रिका का प्रकाशन होता था। यदि बेतवावाणी का पुर्नप्रकाशन शुरू हो जाता है या फिर बुंदेलीगुरू नामक नई पत्रिका को प्रकाशन शुरू हो जाता है तो बुंदेलखंडी ज्ञान परंपरा के संरक्षण और संवर्द्धन को नई दिशा मिलेगी।

चित्र : बुंदेलखंड कॉलेज, झाँसी

झाँसी-बुंदेलखंड के प्राचीनतम महाविद्यालय बुंदेलखंड कॉलेज ने बुंदेली-बुंदेलखंड पर शोध कराके बुंदेली-बुंदेलखंड के विकास में अहम भूमिका निभायी है। इसके पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो० मनुजी श्रीवास्तव के अथक प्रयासों से बुंदेली विश्वविद्यालयी पाठ्यक्रम में सम्मिलित हुई। आज के दौर में बुंदेलखंड कॉलेज में सुयोग्य अस्थायी बुंदेली प्रशिक्षक से बुंदेली लोकनृत्य राई और बुंदेली लोकगीत गायन में प्रशिक्षित प्रतिभाशाली छात्र-छात्रा कलाकारों के सांस्कृतिक प्रर्दशन विश्वस्तर पर धूम मचा रहे हैं। लेकिन अस्थायी बुंदेली प्रशिक्षक अपनी पारिवारिक आवश्यक आवश्यकताएँ ही पूरी नहीं कर पा रहा है। यदि उसकी स्थायी नियुक्ति हो जाती है तो बुंदेली लोकसंस्कृति के संवर्द्धन में अधिक तीव्रता आएगी। साथ ही अस्थायी और स्थायी शिक्षकों के बीच होने वाले सामाजिक, आर्थिक और अकादमिक भेदभावों से मुक्ति मिल जाएगी। यदि बुंदेलखंड कॉलेज में बुंदेलीपीठ की स्थापना हो जाए और बुंदेलीपीठ से बुंदेली भाषा और साहित्य के ग्रंथों का प्रकाशन,  बुंदेलीधरती नामक बुंदेली को समर्पित पत्रिका का प्रकाशन जैसी गतिविधियाँ संचालित होने लगें ताकि बुंदेली के विकास को धार मिल सके।

झाँसी के पूर्व मण्डलायुक्त डॉ० अजयशंकर पांडेय ने बुंदेलखंड की भाषा, साहित्य, कला, संस्कृति, पर्यटन, कुटीर उद्योग आदि के प्रचार-प्रसार और संरक्षण हेतु और अटल स्मृति पुस्तकालय झाँसी के लिए पाठ्य-सामग्री की उपलब्धता हेतु कुल नौ समितियों का गठन किया था। बुंदेलखंड की भाषा और साहित्य को समर्पित समिति बुंदेलखंड साहित्य उन्नयन समिति का गठन बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी के तत्कालीन हिन्दी विभागाध्यक्ष और बुंदेली साहित्य के मर्मज्ञ प्रो० पुनीत बिसारिया की अध्यक्षता में हुआ था। बुंदेलखंड साहित्य उन्नयन समिति ने गुमनाम से नाम की ओर पहल के अंतर्गत बुंदेलखंडी साहित्यकारों की इक्यावन पुस्तकों का प्रकाशन कराया, जिसमें बुंदेली भाषा और साहित्य के पुस्तकें भी शामिल रहीं। बुंदेलखंड साहित्य उन्नयन समिति की गतिविधियाँ बुंदेलखंडी साहित्यकारों हेतु मील का पत्थर साबित हुईं। 


चित्र : बुंदेलखंड सांस्कृतिक एवं पर्यटन सूचना केंद्र, झाँसी

बुंदेली संस्कृति और पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु झाँसी स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा क्राफ्ट मेला मैदान में बुंदेलखंड कल्चरल एंड टूरिस्ट इन्फॉर्मेशन सेंटर यानी बुंदेलखंड सांस्कृतिक एवं पर्यटन सूचना केंद्र की स्थापना की गई है, जिसका सुचारू रूप से संचालन शीघ्र ही होने जा रहा है।



 चित्र : पंडित डॉ० विश्वनाथ शर्मा बुंदेलखंड हेरिटेज इंस्टीट्यूट, झाँसी का शिलान्यास 

झाँसी के यशस्वी सांसद डॉ० अनुराग शर्मा द्वारा बुंदेलखंड विश्वविद्यालय परिसर में पंडित डॉ० विश्वनाथ शर्मा बुंदेलखंड विरासत संस्थान, झाँसी यानी पंडित डॉ० विश्वनाथ शर्मा बुंदेलखंड हेरिटेज इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई है, जिसके भवन निर्माण का कार्य चल रहा है। इस संस्थान में बुंदेलखंड के ज्ञान-विज्ञान की समस्त शाखाओं का अध्ययन-अध्यापन और शोध किया जाना है। इसमें  बुंदेलखंडी इतिहास, बुंदेलखंडी लोकगीत, बुंदेलखंडी भाषा, बुंदेलखंडी साहित्य, बुंदेलखंडी संस्कृति, बुंदेलखंडी स्मारक, बुंदेलखंडी पर्यटन, बुंदेलखंडी व्यंजन, बुंदेलखंडी वास्तुकला, बुंदेलखंडी हस्थशिल्प कला आदि विधाओं में डिग्री, डिप्लोमा कोर्स प्रस्तावित हैं। इस इंस्टीट्यूट में संचालित कोर्सों से विद्यार्थियों को बुंदेलखंडी लोक, कला, भाषा, साहित्य, संस्कृति, पर्यटन, इतिहास और बुंदेलखंडी ज्ञान परम्परा का अध्ययन कर करेंगे और भारतीय ज्ञान परंपरा में बुंदेलखंड के योगदान पर गर्वित होंगे। 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधान प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के अनुसार विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में विषय विशेषज्ञों को प्रोफेसर नियुक्त किया जा सकता है। यदि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी, बुंदेलखंड कॉलेज झाँसी और पंडित डॉ० विश्वनाथ शर्मा बुंदेलखंड हेरिटेज इंस्टीट्यूट जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों में बुंदेलखंडी ज्ञान परंपरा के जानकार, बुंदेली के विद्वानों, परामर्शदाताओं को असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर जैसे अकादमिक पदों और विभागाध्यक्ष, निदेशक या उपनिदेशक जैसे प्रशासनिक पदों पर और बुंदेलखंड कल्चरल एंड टूरिस्ट इन्फॉर्मेशन सेंटर और केशवदास बुंदली अकादमी में भी निदेशक या उपनिदेशक जैसे प्रशासनिक पदों और अन्य पदों पर नियुक्त किया जाएगा तभी हम बुंदेलखंड और बुंदेली के साथ न्याय कर पाएँगे।

 ©️ किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज'

(बुंदेली-बुंदेलखंड अधिकार कार्यकर्त्ता)

झाँसी, अखंड बुंदेलखंड

10/02/2025 _ 11:19रात


चित्र : किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज'



चित्र : झाँसी एवं टीकमगढ़ से प्रकाशित लोकप्रिय दैनिक समाचार पत्र 'वीरांगना झाँसी न्यूज' में 18 फरवरी 2025 को बुंदेली-बुंदेलखंड अधिकार आंदोलन श्रृंखला का नया लेख


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Monday, 10 February 2025

अनुष्का मद्धेशिया द्वारा कुशराज की कहानी 'घर से फरार जिंदगियाँ' पर की गई टिप्पणी


अनुष्का मद्धेशिया द्वारा कुशराज की कहानी 'घर से फरार जिंदगियाँ' पर की गई टिप्पणी - 

'घर से फरार जिंदगियाँ' कहानी का शीर्षक ही इतना रोचक है कि वो पाठक को पढ़ने के लिए मजबूर करती है। हर्ष और साक्षी का अबोध प्रेम उनके साहस से विवाह में तब्दील होता है। हर्ष एक ब्राह्मण कुल और मध्यम वर्गीय परिवार का लड़का है, जो उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहा है। उसे अपने अच्छे बुरे की परख है, वहीं साक्षी जो मेधावी छात्रा है, लेकिन प्रेम की भावुकता में स्वविवेक का उपयोग करती नहीं दिखाई गई है। वह हर्ष पर आँखें मूंदकर विश्वास करती चित्रित की गई है। हालांकि हर्ष ने उसके विश्वास का मान रखा है। कहानी का अन्त हर्ष के फॉरेंसिक इंस्पेक्टर के रूप में चयनित होकर, अपनी शादी को घर और समाज में स्वीकार कराने से हुआ है। कहानीकार ने इस ओर भी इंगित किया है कि जब तक आप सफल नहीं हो, आपको अपनी इच्छाओं का गला घोंटकर समाज की परंपराओं और रूढ़ियों को मानने के लिए विवश होना पड़ेगा।  

       कुशराज को बहुत शुभकामनाएँ, वो ऐसे ही आंचलिक और अपनी लोकभाषा के साहित्य को समृद्ध करते रहें।

©️ अनुष्का मद्धेशिया

(शोधार्थी - हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी)

10/02/2025, 11:16 दिन

बीएचयू, वाराणसी

आप 'घर से फरार जिंदगियाँ' कहानी इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं - 

दिल्ली में मोदी की गारंटीवाला भगवाराज - किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज'

 दिल्ली में मोदी की गारंटीवाला भगवाराज


हर देश और राज्य की राजनैतिक पार्टियों के साथ ही सरकारों को अपनी संस्कृति, भाषा और धर्म के प्रति समर्पित होना ही चाहिए। जो राजनैतिक पार्टियाँ और सरकारें अपनी संस्कृति, भाषा और धर्म का विश्वव्यापी प्रचार-प्रसार करके जनता के कल्याण हेतु काम करती हैं, वो सदियों तक शासन में बनी रहतीं हैं। वर्तमान में भारत की राजनैतिक पार्टियों में भारतीय जनता पार्टी ही अपनी प्राचीनतम संस्कृति - भारतीय संस्कृति, अपनी भाषाओं - संस्कृत, हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं और अपने धर्म - सनातन / हिन्दू धर्म के विश्वव्यापी प्रचार-प्रसार में संकल्पित होकर काम कर रही है और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली भारत सरकार के साथ ही भाजपाशासित राज्य सरकारें अपनी संस्कृति, भाषा और धर्म के प्रति समर्पित होकर विकसित भारत और विश्वगुरू भारत बनाने हेतु काम रहीं हैं। भाजपा की मोदी सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू करके शिक्षा के हर स्तर पर भारतीय ज्ञान परंपरा के अध्ययन-अध्यायन को अनिवार्य करके श्रेष्ठतम शिक्षा व्यवस्था - गुरुकुल / आश्रम पद्धति, सनातनी संस्कृति, भारतीय भाषाओं और धार्मिक साहित्य - हिन्दू धर्मग्रन्थों को पाठ्यक्रम में स्थान देकर भारतीयों को अपनी जड़ों से जोड़ने का युगांतकारी काम किया है। अयोध्या में राममंदिर स्थापना,  राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, भारतीय न्याय संहिता जैसे कानूनों और विकसित भारत के संकल्प से भाजपा का जनाधार बढ़ा है, जिसका सुखद परिणाम महाराष्ट्र और हरियाणा के बाद अब दिल्ली राज्य में भी भाजपा की विजयश्री के रूप में सारी दुनिया को दिख रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में आयोजित विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक और धार्मिक मेले प्रयागराज महाकुंभ के अमृत स्नान के पुण्यों का फल भाजपा को दिल्ली विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक विजयश्री के रूप में तुरंत मिल गया है। अब राष्ट्रीय राजधानी और केन्द्रशासित प्रदेश दिल्ली में 27 बरस बाद कमल खिला है और मोदी की गारंटीवाला भगवाराज आया है। इससे पहले बरस 1993 में दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी। 

इस बार दिल्लीवालों ने भाजपा के 70 में से 48 विधायक बनाकर विजयश्री दिलाई ली। अब दिल्ली के मुख्यमंत्री को पद को मनोज तिवारी, प्रवेश वर्मा और बाँसुरी स्वराज में से कोई एक सुशोभित करेगा।

भाजपा की दिल्ली विजय देश के कल्याण हेतु समर्पित मोदी जी की जीवन दर्शन, सुशासन, विकास और जनता की जीत है। आप के राष्ट्रीय संयोजक यानी दा साब, पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री और पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया, मंत्री सौरभ भारद्वाज, पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन सहित पार्टी के कई बड़े नेता भगवा लहर में अपने पापों की बजह से पराजित हुए हैं। आप और केजरीवाल की दिल्ली पराजय गुरू अन्ना हजारे से छल-कपट और अपने साथियों प्रशान्त भूषण, योगेंद्र यादव, कुमार विश्वास आदि से धोखेबाजी और जनता को उल्लू बनाने का दुष्परिणाम है। केजरीवाल और सिसौदिया ने दिल्ली में पहले शिक्षा व्यवस्था सुधारी और शिक्षित दिल्ली बनाई। और फिर नई शराब नीति लागू करके एक बोतल के साथ एक बोतल फ्री की योजना लागू करके शराबी दिल्ली - नशाखोर दिल्ली बनाई। भ्रष्टाचार का नाश हो का नारा लागकर सरकार में आने वाले केजरीवाल शराब घोटाला और शीशमहल का निविदा घोटाला करके महाभ्रष्टाचारी साबित हुए और तिहाड़ की हवा खाए। अब भी केजरीवाल और उनके साथियों का तिहाड़ प्रतीक्षा कर रही है। सच कहा गया है - जो जैसा करेगा, वैसा भरेगा।

 ©️ किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज'

   (युवा आलोचक)

9/2/2025, 2:15 दिन

   झाँसी, अखंड बुंदेलखंड

चित्र : झाँसी एवं टीकमगढ़ से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र 'वीरांगना झाँसी न्यूज' में 10 फरवरी 2025 को प्रकाशित लेख "दिल्ली में मोदी की गारंटीवाला भगवाराज"

Sunday, 9 February 2025

डॉ० लखनलाल पाल और डॉ० शिवजी श्रीवास्तव द्वारा कुशराज के लेख "समकालीन भारत में युवा-युवतियों के जीवन की पड़ताल" पर की गई टिप्पणियाँ


डॉ० लखनलाल पाल द्वारा कुशराज के लेख "समकालीन भारत में युवा-युवतियों के जीवन की पड़ताल" पर साहित्य के आदित्य व्हाट्सएप समूह में की गई टिप्पणी -

किसानवादी कुशराज झांसी जी के इस आलेख में उनकी अपनी विचारधारा झलकती है। इस विचारधारा में उनकी अपनी स्थापनाएं है। अच्छा है, युवा जोश है। यह सब देखकर खुशी होती है कि इस युवा में एक जोश है। कुछ करने का जज्बा है।

           इनकी स्थापनाओं में कुछ चीजें बहुत बढ़िया है तो कुछ से सहमत होने के लिए सोचना पड़ता है। जैसे -

पश्चिमी सभ्यता का भारतीय संस्कृति में प्रवेश 

युवा लड़के लड़कियों का लिव-इन, देह प्रदर्शन, पैसा कमाना आदि 

देश को नशामुक्त करना 

              उपर्युक्त दो नियमों में मुझे बुराई नहीं दिख रही है। तीसरे नियम में कुछ बुराई है। वह है ड्रग्स वाली बुराई 

        तो मैं कहूंगा कि पश्चिमी सभ्यता जितनी तेज रफ्तार से भारत में प्रवेश कर रही है उससे ज्यादा हम भारतीय पश्चिमी देशों में प्रवेश करते चले जा रहे हैं। मैं मानता हूं कि भारतीय संस्कृति संसार की सबसे पुरानी और अच्छी सभ्यता है। इसके बावजूद  हम पश्चिमी सभ्यता की ओर खिंच रहे हैं, उसे अपना रहे हैं। अगर वह संस्कृति इतनी बुरी है जिसे हम अक्सर पश्चिमी संस्कृति कहकर गाली सी देते हैं वहां लोग अभी तक आबाद क्यों है? पूरी दुनिया के चौधरी क्यों बने हुए हैं?

 युवा लड़के लड़कियां लिव-इन में रहते हैं। अच्छा तो नहीं लगता है पर माता पिता को चाहिए कि समय पर उनकी शादी कर दें।  जो कि नहीं करते हैं।  इस वर्ग के पेरैंट्स लड़के लड़कियों का लिव-इन में रहना स्वीकार कर रहे हैं।  आज देह की पवित्रता वाला भाव खत्म हो चुका है। पुरानी  फिल्मों में हीरोइन गंगा की तरह पवित्र नहीं रह पाती थी तो आत्महत्या कर लेती थी। आज ऐसा नहीं है। जानते हुए भी कि ये लिव-इन में रह चुके हैं फिर भी दूसरे लोग इनसे शादी कर रहे हैं।

नशामुक्त देश हो पाना मुश्किल है। एक तो यह सरकारी आय का साधन है। अगर इसे बंद किया जाएगा तो लोग चोरी से करने लग जाएंगे।

           आपके द्वारा स्थापित शेष स्थापनाएं मानवीय है। इन स्थापनाओं से मैं क्या सभी सहमत होंगे। 

          कुशराज जी आपके भीतर जो आग है उसे जलाए रखिएगा। बहुत-बहुत बधाई आपको।

- डॉ० लखनलाल पाल

(कथाकार, समीक्षक)

उरई, जालौन, बुंदेलखंड

9/2/2025, 4:00 शाम 


डॉ० शिवजी श्रीवास्तव द्वारा कुशराज के लेख "समकालीन भारत में युवा-युवतियों के जीवन की पड़ताल" पर साहित्य के आदित्य व्हाट्सएप समूह में की गई टिप्पणी -

युवाओं की समस्याओं पर केंद्रित आलेख में आपने वाजिब प्रश्नों को उठाया है, इन समस्याओं के समाधान हेतु भी युवाओं को आगे आना होगा, समस्याएं जटिल हैं, इनकी जड़ें गहरी हैं। विश्व बाजार के लिए खुले द्वारों से पाश्चात्य संस्कृति का आगमन  होना स्वाभाविक है... नशा और अमर्यादित काम निर्लज्ज पूँजी के सहज अस्त्र हैं जिनसे  वह किसी भी संस्कृति पर अपना अधिकार करती है.... आप जैसे युवकों को ही ऐसी चेतना फैलानी होगी कि इनसे बचा जा सके। एक अच्छे आलेख हेतु बधाई।

- डॉ० शिवजी श्रीवास्तव

 (आलोचक)

नोएडा

9/2/2025, 7:27 रात




Saturday, 1 February 2025

कुशराज सत्य सनातन संस्कृति मंच के प्रांतीय मीडिया प्रभारी मनोनीत

 कुशराज सत्य सनातन संस्कृति मंच के प्रांतीय मीडिया प्रभारी मनोनीत 

झाँसी : विगत 30 जनवरी 2025 को सत्य सनातन संस्कृति मंच भारत, धर्मार्थ न्यास की बैठक केंद्रीय कार्यालय अन्नपूर्णा कॉलोनी बड़ागाँव गेट बाहर झाँसी में संपन्न हुई। जिसमें गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज' को उत्तर प्रदेश का प्रांतीय मीडिया प्रभारी एवं अशोक कुमार पाराशर को वरिष्ठ नागरिक प्रकोष्ठ का झाँसी नगर संयोजक मनोनीत किया गया। सत्य सनातन संस्कृति मंच विगत तीस वर्षों से भारतीय संस्कृति के संवर्द्धन कार्यक्रमों का संचालन कर रहा है और चरित्रवान युवाओं को श्रवण सपूत सम्मान से विभूषित करता आ रहा है। बैठक में मंच के पदाधिकारियों ने मंच की गतिविधियों के विस्तार हेतु विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में मंच के संकल्प कार्यक्रम कराके श्रवण सपूत परंपरा को आगे बढ़ाने पर बल दिया। इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष श्यामशरण नायक 'सत्य', राष्ट्रीय महामंत्री डॉ० रामशंकर भारती, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पवन कुमार गुप्ता 'तूफान', राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष देव नायक के साथ ही कार्यकारिणी सदस्यों में संजीव त्रिपाठी, राजीव त्रिपाठी, राजेश श्रीवास्तव और प्रकाश बाजपेयी उपस्थित रहे।





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Thursday, 30 January 2025

डॉ० मधु ढिल्लों की किसान विमर्श की कविता पर किसानवादी युवा आलोचक गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज' की टिप्पणी

डॉ० मधु ढिल्लों की किसान विमर्श की कविता पर किसानवादी युवा आलोचक गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज' की टिप्पणी -

"डॉ० मधु ढिल्लों ने 'किसान भाईयों! जागो फिर एक बार' कविता में 21वीं सदी के भारतीय किसानों की दशा और दिशा का बखूबी चित्रण किया है। तमाम गुटों और हजारों जातियों में बटें किसान वर्ग से एकजुट होने की अपील की है और अपनी फसलों के दाम तय कराने हेतु यानी सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू कराने हेतु किसान आंदोलन में शामिल होने की अपील की है और ये चेतावनी दी है कि यदि किसान अभी नहीं जागे तो फिर उनकी आने वाली पीढ़ियां किसानी धर्म से विमुख हो जायेगीं। डॉ० मधु ढिल्लों को किसान चेतना की कविता के प्रणयन हेतु भौत-भौत बधाई।"

३० जनवरी २०२५, झाँसी

(अखंड बुंदेलखंड)


कविता : किसान भाईयों! जागो फिर एक बार 

अलग अलग गुटों में बंटा है 

आज देश का किसान 

देश के किसान भाईयों 

जरा सोचो एक बार आप

सबसे पहले हो आप किसान 

बाद में हो आप सैनी,

अहीर, जाट, गुज्जर,

नाई, तेली और ब्राह्मण।


अपनी फसलों के दाम के लिए 

तो इक्ट्ठे हो जाओ

नहीं तो वो दिन दूर नहीं है 

जब अपनी आँखों के सामने आप

अपनी जमीन को बिकते देखोगे 

आपकी आने वाली पीढ़ी

खेती से मुख मोड़ लेगी,

जरा सोचा फिर एक बार

किसान भाईयों! जागो फिर एक बार। 

  ©️ डॉ० मधु ढिल्लों 

सहायक आचार्य हिन्दी 

राजकीय महिला महाविद्यालय, हिसार (हरियाणा)

Wednesday, 29 January 2025

अभिनय उत्सव 2025 में सम्मानित हुए संस्कृतिकर्मी


अभिनय उत्सव 2025 में सम्मानित हुए संस्कृतिकर्मी


झाँसी : विगत 27 जनवरी 2025 को वीरांगना झलकारीबाई नाट्य समिति और अभिनय गुरूकुल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पाँच दिवसीय अभिनय उत्सव 2025 का वीरांगना झलकारीबाई नाट्य समिति  के मंच पर रंगारंग समापन हो गया। समापन समारोह के अवसर पर आयोजित रंगगोष्ठी के पहले सत्र में  बुंदेली रंगमंच और सिनेमा पर बुंदेली-बुंदेलखंड अधिकार कार्यकर्त्ता गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज' ने शोधपत्र का वाचन करते हुए कहा चरखारी के पारसी थियेटर से बुंदेली रंगमंच और सिनेमा की शुरुआत हुई, इसके विकास में राजा बुंदेला की प्रथा, देवदत्त बुधौलिया की ढडकोला, आरिफ शहडोली की गुठली लड्डू, माताप्रसाद शाक्य के नाटक टैसू, टीवी धारावाहिक गुड़िया हमारी सब पे भारी का ऐतिहासिक योगदान रहा है, बुंदेली रंगमंच और सिनेमा ने बुंदेली भाषा, संस्कृति और बुंदेलखंड की विश्व पटल पर अनोखी पहचान बनाने में सफलता पायी है। लोकसंस्कृतिकर्मी डॉ० रामशंकर भारती ने अध्यक्षीय वक्तव्य में रंगमंच की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि डॉ० बी० डी० आर्य ने कहा रंगमंच और थिएटर की दुनिया से निकलकर जो कलाकार फिल्म जगत में अपनी पहचान बना रहे हैं, उसमें थिएटर और रंगमंच का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने रंगकर्मियों के प्रोत्साहन के लिए आर्थिक सहयोग देने की बात कही। विशिष्ट अतिथि हंसराज बौद्ध, निहालचंद्र शिवहरे, हरिप्रकाश परिहार, श्यामशरण नायक 'सत्य' और गंगाराम रहे। साहित्यकार निहाल चंद्र शिवहरे ने बुंदेली रंगमंच के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। इस दौरान सत्य सनातन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्यामशरण नायक 'सत्य' द्वारा रंगमंच गुरू रामस्वरूप चक और रंगकर्मी माताप्रसाद शाक्य को न्यास द्वारा कलाभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया। संगोष्ठी के दूसरे सत्र में जाने-माने रंगकर्मी और फिल्म अभिनेता आरिफ शहडोली निर्देशित नाटक 'बुद्धम् शरणम् गच्छामि' का मंचन वरिष्ठ रंगकर्मी माताप्रसाद शाक्य द्वारा किया गया। माताप्रसाद शाक्य ने एकल नाटक में भगवान बुद्ध, डाकू अंगुलीमाल, अम्बालिका और सम्राट अशोक के जीवन की मनमोहक प्रस्तुति दी। जिसे दर्शकों ने बहुत सराहा। इस दौरान बुंदेलखंड के साहित्य, कला, संगीत, रंगमंच और फिल्म से जुड़े संस्कृतिकर्मियों में ब्रह्मा दीनबंधु, अभिनेता देवदत्त बुधौलिया, रंगकर्मी नंदू झा, युवा आलोचक गिरजाशंकर कुशवाहा कुशराज, रंगकर्मी गायत्री, संस्कृतिकर्मी जफर, रंगकर्मी वीरेन्द्र भदौरिया, अभिनेत्री शीतल आदि को सम्मानित किया गया।समारोह का संचालन अभिनय गुरुकुल के निदेशक आरिफ शहडोली ने किया। रंगकर्मी माताप्रसाद शाक्य ने आभार व्यक्त किया।

















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सत्य सनातन संस्कृति मंच ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर किया महिला विभूतियों का सम्मान

सत्य सनातन संस्कृति मंच ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर किया महिला विभूतियों का सम्मान झाँसी : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर झाँसी के सुप्रसिद्...