Thursday 4 April 2024

हिंदी बिभाग, बुंदेलखंड कालिज, झाँसी खों अथाई की बातें तिमाई बुंदेली पत्तिका भेंट.....

 हिंदी बिभाग, बुंदेलखंड कालिज, झाँसी में मुखिया आचार्य संजै सक्सेना जू, आचार्य नबेन्द कुमार सिंघ जू, डा० स्याममोहन पटेल जू उर अनिरुद्ध गोयल जू खों 'अथाई की बातें' तिमाई बुंदेली पत्तिका भेंट करत भए हम छात्त लेखक किसान गिरजासंकर कुसबाहा 'सतेंद सिंघ किसान'......



१६/१२/२०२३, झाँसी

महाँन बुंदेली साहित्यकार, आलोचक डा० रामनारान सरमा जू सें किसान गिरजासंकर कुसबाहा 'कुसराज झाँसी' (सतेंद सिंघ किसान) की भेंट...

महाँन बुंदेली साहित्यकार, आलोचक डा० रामनारान सरमा जू खों झाँसी में बिनके घरे बुंदेली बसंत पत्तिका भेंट करत भए हम किसान गिरजासंकर कुसबाहा 'कुसराज झाँसी' (सतेंद सिंघ किसान) उर संगे झाँसी के साहित्यकार कक्का बिजै पिरकास सैनी जू।



सरमा जू सें बुंदेली भासा उर साहित्य पे बतकाओ करौ। साथी युबा कबी सिबम हरी (झाँसी) भी संगे रए।

४/४/२०२४, झाँसी


Friday 29 March 2024

जाति हमारी संस्कृति की अभिन्न अंग है - कुशराज झाँसी

 " जाति हमारी संस्कृति की अभिन्न अंग है। "


©️ किसान गिरजाशंकर कुशवाहा

'कुशराज झाँसी'

(प्रवर्त्तक - बदलाओकारी विचारधारा)

२९/३/२०२४, झाँसी

Wednesday 27 March 2024

समाज में बदलाव लायेंगीं कुशराज की क्रांतिकारी कहानियाँ - दीपक नामदेव बुन्देलखण्ड

 'घर से फरार जिंदगियाँ' कहानी-संग्रह की पुस्तक-समीक्षा -



" समाज में बदलाव लायेंगीं कुशराज की क्रांतिकारी कहानियाँ "


©️ दीपक नामदेव बुन्देलखण्ड

(परास्नातक छात्र - हिन्दी विभाग, बुन्देलखण्ड कॉलेज, झाँसी ; युवा लेखक, सामाजिक कार्यकर्त्ता)

पता - झाँसी मेडिकल कॉलेज के सामने, करगुवांजी, झाँसी (अखण्ड बुन्देलखण्ड)

_ 28/02/2024, झाँसी

                         

सबसे पहले तो मित्र किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी' को कहानियों की नई किताब 'घर से फरार जिंदगियाँ' के लिए बहुत-बहुत बधाई। जीवन में मित्रों का होना परम आवश्यक होता है क्योंकि मित्र ही सच्चे साथी होते हैं, जो हमारा हर काम में संग देते हैं और जीवन में तरक्की पाने के हर मार्ग को सुझाते भी हैं। मुझे इस बात का गर्व है कि मुझे कुशराज जैसा मित्र मिला।


'घर से फरार जिंदगियाँ' कहानी-संग्रह की पहली कहानी 'रीना' में किसान और शोषित वर्ग की बहुत ही अच्छी और शानदार प्रस्तुति की गई है। 'रीना' का शिम्मू किसान हमें 'गोदान' के होरी के अनुरूप लगता है। जिस तरह प्रेमचंद जी के समय में किसान की स्थिति थी, वही स्थिति वर्तमान में आज भी है। कुशराज की कहानी 'रीना' आज के किसान की स्थिति को बिल्कुल सटीकता से दर्शाती है।


दूसरी कहानी 'सोनम एक बहादुर बेटी' और  इसी क्रम में 'पंचायत' कहानी समाज की रूढ़िवादी सोच को उजागर करती हुई क्रांतिकारी विचारों के अनुरूप लिखी गई है और आज के युग में जो बच्चे अपने घर से बाहर जाते हैं पढ़ाई करने के लिए और पढ़ाई से विमुख होकर अन्य जुगाड़ शराब आदि की लत में पड़ जाते हैं। एक क्रांतिकारी मित्र कुशराज की यह बदलाव की धारा आज के वर्तमान समय में बहुत ही क्रांतिकारी साबित होगी। 


हर युवक को अपनी सोच बदलनी है और जितना भी समय अपनी पढ़ाई को देना जरूरी है, उतना ही समय अपने जीवन में आने वाली प्रेमिका को भी देना जरूरी है क्योंकि यही उम्र होती है अपने भविष्य का निर्माण करने की और इसी उम्र में प्यार होता है तब बेहद जरूरी हो जाता है कि भविष्य चुने या अपना प्रेम। प्रेम चुना जाता है तो भविष्य रूठ जाता है और यदि भविष्य रूठ जाए तो ऐसे प्रेम का क्या अर्थ होगा जो अपनी जीविका का सही साधन न बन सके। ऐसी ही एक कहानी है 'घर से फरार जिन्दगियाँ'। सफल व्यक्ति की चर्चा सभी करते हैं लेकिन असफल व्यक्ति को समाज में एक घटना की नजर से देखा जाता है इसलिए कुशराज की बदलाव की भावना और इस कहानी से युवाओं को प्रेरणा मिलेगी कि वे सर्वप्रथम अपने भविष्य और जीवन की नींव को मजबूत करें फिर उसके बाद कहीं प्रेम के माया रूपी जाल में प्रवेश किया जाए। साथ ही कुशराज ने भ्रष्टाचार के खातमे की आवाज  'पुलिस की रिश्वतखोरी' कहानी के माध्यम से उठाई है। जब समाज का व्यक्ति ही भ्रष्टाचार के खिलाफ हो जाए तभी भ्रष्टाचार को हम जड़ से उखाड़ फेंक सकते हैं।


हमें विश्वास है कि कुशराज की बदलाव की क्रांति जल्द ही युवाओं को एक नई सामाजिक-बदलाव की धारा से जोड़ेगी। कुशराज के लेखन को उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार द्वारा भी प्रकाशित किया जा चुका है।


'घर से फरार जिंदगियाँ' किताब की अंतिम और प्रेरणादायक कहानी है 'अंतिम संस्कार'। यह कहानी सामाजिक-परिवर्तन की प्रेरणा देती है। रूढ़िवादी सोच के साथ ही भेदभाव करने वाली परंपराओं को जड़ से उखाड़ भेंकनें का बिगुल बजाती है और महिला-सशक्तिकरण के साथ ही महिलाओं अधिकारों की बकालत करती है। ऐसी क्रांतिकारी कहानी के लिए कुशराज भाई को बहुत-बहुत बधाई।


जहाँ तक मेरा मानना है कि ये सारी कहानियाँ लेखक कुशराज के व्यक्तिगत जीवन में कहीं-न-कहीं अपना स्थान रखती हैं और आधुनिक भारत के यथार्थ के ऊपर लिखी गईं हैं। कुशराज ये सामाजिक-परिवर्तन हेतु अपने लेखन को हमारे सामने लाते रहेंगें और समाज को नई दिशा देते रहेंगे।



            
     दीपक नामदेव बुन्देलखण्ड







Tuesday 12 March 2024

मोदी सरकार की गारंटी - 'सभी को अनाज, पोषित समाज' योजना को जरबौ गॉंव जिला झाँसी में प्रचारित करते हमारे दादाजी किसान नेता पीताराम कुशवाहा 'पत्तू नन्ना' और गाँववाले.....

आज 12 मार्च 2024 को मोदी सरकार की गारंटी - 'सभी को अनाज, पोषित समाज' योजना को जरबौ गॉंव जिला झाँसी में प्रचारित करते हमारे दादाजी किसान नेता पीताराम कुशवाहा 'पत्तू नन्ना' और गाँववाले.....




चित्र : बाएँ से चौथे - दादाजी किसान नेता पीताराम कुशवाहा 'पत्तू नन्ना' 

Thursday 29 February 2024

राम - काब्य में मूल-चेतना' बिसै पे झाँसी में भई रास्ट्रीय संगोस्टी

*** 'राम - काब्य में मूल - चेतना' बिसै पे झाँसी में भई रास्ट्रीय संगोस्टी ***





कल्ल २८ फरबरी २०२४ खों माधबी फोन्डेसन लखनऊ उर दुनियाई साहित्य सेबा नियास आगरा की अगुआई में राजकीय संग्रहघर झाँसी के सभागार में 'राम-काब्य में मूल-चेतना' बिसै पे कराई गई इक दिनाई रास्ट्रीय संगोस्टी में हमाओ रैबो भओ। संगोस्टी कौ संजोजन माधबी फोन्डेसन सैसचिब डॉ० निहालचंद सिबहरे जू झाँसी Nihal Chandra Shivhare नें करौ। यीमें राम-काब्य में मूल-चेतना पे ब्याख्यान भए और राम पे हिन्दी- बुंदेली कबि-सम्मेलन भी भओ। संगोस्टी में देस भर सें बिद्वान, साहित्यकार, पिरोफेसर, कबि-कबियतरी उर सोदार्थी उपस्थित रए।



यी औसर पे पूजनीय आचार्य पुनीत बिसारिया जू Puneet Bisaria खों पूजनीय गुरूजी डॉ० रामसंकर भारती Ramshankar Bharti और हमनें आलोचना ग्रंथ 'डॉ० बिनय कुमार पाठक उर इकइसबीं सदी के बिमर्स' भेंट कौ उर सम्मानित करौ। कायकी यी अनोखे ग्रंथ की सम्मति आचार्य पुनीत बिसारिया नें लिखी हैगी उर गुरूजी डॉ० रामसंकर भारती उर हमनें मिलकें जौ ग्रंथ रचौ हैगो।


यी औसर पे हमाए संगे साथी दीपक नामदेब बुंदेलखंड दीपक नामदेव बुन्देलखण्ड, कल्पना नरबरिया Kalpna Sing उर प्रीतिका बुधौलिया Pritika Budholiya भी उपस्थित रए।





©️ किसान गिरजासंकर कुसबाहा 'कुसराज झाँसी' 

(बुंदेली-बुंदेलखंड अधिकार कारीकरता, लेखक, अगुवाईकारी - बदलाओकारी बिचारधारा)

२९/०२/२०२४

विवाहित प्रेमी-प्रेमिका के भागकर जिन्दगी जीने के क्रम में समसामयिक भारतीय समाज की घोर सच्चाई को बयाँ करती है डॉ० शिवजी श्रीवास्तव जी की कहानी 'आदिम राग' - किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी'

 *** " विवाहित प्रेमी-प्रेमिका के भागकर जिन्दगी जीने के क्रम में समसामयिक भारतीय समाज की घोर सच्चाई को बयाँ करती है डॉ० शिवजी श्रीवास्तव जी की कहानी 'आदिम राग' " ***


झाँसी, अखंड बुन्देलखंड में जन्मे सुप्रसिद्ध आलोचक, कथाकार डॉ० शिवजी श्रीवास्तव जी की कहानी 'आदिम राग' अति मर्मस्पर्शी और शिक्षाप्रद कहानी है। 'आदिम राग' का मतलब है - वैवाहिक प्रेम-संबंध। 'आदिम राग' का मर्म है कि समकालीन भारतीय समाज में प्रेम और विवाह के बिना 2-4प्रतिशत स्त्री-पुरुषों को छोड़कर कोई भी स्त्री या पुरूष जिंदगी जीने को तैयार नहीं है। चाहे वह 'आदिम राग' का कथानायक 'बंसी' जैसा भोला-भाला, गरीब और तथाकथित नीची जाति वाला और बेगार पर अग्रवाल साब जैसे अमीरों के घरों में काम करने वाला नौकर ही क्यों न हो। बंसी की दिली इच्छा थी कि हमाओ भी ब्याओ हो जाए। वो अपने हर परिचित से यही कहता कि हमाओ भी ब्याओ करा देओ। एक दिन उसका विवाह भी बंगाल, बिहार या बुन्देलखंड से खरीदकर लाई गई सुंदर युवती से करा दिया जाता है लेकिन उसका लंपट दोस्त कल्लू उसकी पत्नी को भगा ले जाता है। तब बंसी का सभी मजाक उजाड़े हुए कहते हैं कि चार दिन भी अपनी लुगाई को नहीं संभाल पाया। इस दुर्घटना से बंसी का पौरुष जाग उठता है और गुस्से में आकर कल्लू की पत्नी सीमा भौजी का बलात्कार करता है, जिस सीमा भौजी से अब तक बंसी के सात्त्विक और पवित्र रिश्ते चल रहे थे, उसी से लंपट दोस्त कल्लू की बजह से दुष्कर्म करता है तो चरित्रवती सीमा भौजी अपनी मर्यादा और स्त्रीत्व की रक्षा करने हेतु बंसी की करछुल से खूब पिटाई करती है। इसके बाद बंसी बाबा बैरागी बन जाता है और भगवा पहनकर भजन गाकर जीवन गुजारता है।


कुछ दिन बाद बंसी की पत्नी को बेचकर या छोड़कर या हत्या करके कल्लू जब वापिस घर लौटता है तो बंसी कल्लू को उसके किए की सजा देने के चक्कर में खुद ही अपनी हड्डी-पसली तुड़वा लेता है क्योंकि बंसी सूखा-साका कमजोर आदमी था और कल्लू हष्ट-पुष्ट दमदार आदमी। सीमा के बीचबचाव करने पर बंसी की जान बच पाती है। बीचबचाव के दौरान कल्लू सीमा की भी खूब पिटाई करता है और उस पर बदचलन और चरित्रहीन होने का आरोप लगाता है जबकि कल्लू से बड़ा बदचलन और चरित्रहीन कोई है भी नहीं। आज उल्टा चोर कोतवाल को डाँट रहा है। इस मारपीट की घटना के बाद सीमा भौजी का बंसी के प्रति सोया हुआ प्रेम जाग उठता है और वो बंसी को लेकर भाग जाती है और फिर कल्लू बाबा बैरागी बनकर पहले की तरह रिक्शा चलाकर गुजर-बसर करने लगता है। अब कल्लू के पास न  पत्नी बचती है और न ही प्रेमिका। कल्लू जैसे लंपटों की ऐसी ही दशा होनी भी चाहिए।


लंपटी करने में बंसी भी कल्लू से कम नहीं रहा। जब वो सीमा का बलात्कार कर सकता है तो लंपटी भी करने से नहीं चूकता यदि उसे भी मौका मिलता। 'आदिम राग' में कल्लू की पूर्व पत्नी और बंसी की प्रेमिका 'सीमा भौजी' तथा बंसी की पूर्व पत्नी और कल्लू की प्रेमिका का चालचलन भी मेनका जैसी स्त्रियों से बिल्कुल भी कम नहीं रहा।


कैसा जमाना आ गया है? इस पर विचार करने की जरूरत सरकार और नागरिकों दोनों को है। समाज में 'चरित्र की सुचिता' कैसे हर स्त्री-पुरूष बनाए रखे। मेरी सलाह में इसके लिए सरकार को तत्काल प्रभाव से प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा - पीएचडी तक 'नैतिक शिक्षा' / 'भारतीय जीवन मूल्यों की शिक्षा' और 'यौन शिक्षा' / 'सेक्स एजूकेशन' अनिवार्य कर देना चाहिए। तभी भारतीय समाज में चरित्र की सुचिता और प्रेमी-प्रेमिका, पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते और विवाह जैसी संस्था बच सकेगी और आने वाली पीढ़ियाँ संस्कारित हो सकेंगीं। 


मेरी सलाह में कल्लू और बंसी जैसे पुरुषों और सीमा भौजी और बंसी की पत्नी जैसी स्त्रियों की शारीरिक जरूरतों हेतु 'सरकारी वेश्यालय' और 'सरकारी जिंगोलाघर' खोलना भी उचित कदम हो सकता है।'सरकारी वेश्यालय' और 'सरकारी जिंगोलाघर' खोलने से एक तो समकालीन भारतीय समाज में धड़ल्ले से चल रहे विवाहेत्तर प्रेम-संबंध और अवैध संबंधों पर रोक लगाने में कामयाबी मिलेगी और समाज सुधार के क्षेत्र में भारत देश और सरकार का विश्व पटल पर ये युगांतकारी कदम भी होगा।


वस्तुतः विवाहित प्रेमी-प्रेमिका के भागकर जिन्दगी जीने के क्रम में समसामयिक भारतीय समाज की घोर सच्चाई को बयाँ करती है डॉ० शिवजी श्रीवास्तव जी की कहानी 'आदिम राग'। 'आदिम राग' कहानी कहानी के आवश्यक सभी तत्वों को पालन करते समकालीन भारतीय समाज की घोर सच्चाई की उत्कृष्ट कथा पेश करती है। 'आदिम राग' में 'बुन्देली भाषा' किए गए संवादों ने हमें विशेषरूप से प्रभावित किया। आज के प्रेम-प्रसंगों की सच्चाई जानने और सामाजिक बदलाओ में अपना योगदान देने हेतु हर भारतीय को 'आदिम राग' कहानी जरूर पढ़नी चाहिए।


©️ किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी'

(बुंदेलखंडी युवा लेखक, आलोचक, सामाजिक कार्यकर्त्ता)

२८/०२/२०२४, झाँसी, अखंड बुंदेलखंड

हिंदी बिभाग, बुंदेलखंड कालिज, झाँसी खों अथाई की बातें तिमाई बुंदेली पत्तिका भेंट.....

  हिंदी बिभाग, बुंदेलखंड कालिज, झाँसी में मुखिया आचार्य संजै सक्सेना जू, आचार्य नबेन्द कुमार सिंघ जू, डा० स्याममोहन पटेल जू उर अनिरुद्ध गोयल...